भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 5 सितंबर को मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए पांच सहकारी बैंकों पर जुर्माना लगाया है। केंद्रीय बैंक ने कार्रवाई ढांचे (SAF) से संबंधित नियमों का उल्लंघन करने के लिए उत्तर प्रदेश स्थित रानी लक्ष्मीबाई शहरी सहकारी बैंक पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

31 मार्च, 2020 तक अपनी वित्तीय स्थिति के आधार पर बैंक की एक निरीक्षण रिपोर्ट में, अन्य बातों के साथ, SAF के तहत RBI द्वारा बैंक को जारी किए गए निर्देशों का पालन न करने पर केंद्रीय बैंक की ओर से जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा, नियामक ने जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष पर आरबीआई द्वारा जारी निर्देशों के उल्लंघन या गैर-अनुपालन के लिए ओडिशा स्थित शहरी सहकारी बैंक पर 10,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

RBI ने एक अलग नोट में कहा कि बैंक सभी अतिरिक्‍त राशि जमा करने और कानून के उल्लंघन के रूप में पाया गया है और इस संबंध में एक गलत प्रमाण पत्र को लेकर जुर्माना लगाया गया है। इसके अतिरिक्त, नियामक ने तमिलनाडु स्थित निकोलसन को-ऑपरेटिव टाउन बैंक पर जोखिम सीमा से संबंधित उल्लंघनों के लिए 2 लाख रुपए का शुल्‍क लगाया गया है।

वहीं आरबीआई ने ठाणे भारत सहकारी बैंक पर अपनी वेबसाइट के होम पेज पर अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की रिपोर्ट करने के लिए विकल्‍प नहीं प्रोवाइड करने पर ग्राहकों को शिकायत दर्ज करने के लिए एक सीधा लिंक प्रदान नहीं करने के लिए 15 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। वहीं नियामक ने कर्नाटक राज्य सहकारी एपेक्स बैंक को 25 लाख रुपए के शुल्क का जुर्माना लगाया गया है।

आरबीआई ने कहा कि सभी उल्लंघनों के आधार पर, प्रत्येक बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था कि वह कारण बताए कि उक्त निर्देशों के उल्लंघन के लिए जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। नियामक ने कहा कि नोटिस के बैंक के जवाब पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि गैर-पालन के आरोप की पुष्टि की गई और प्रत्येक बैंक पर जुर्माना लगाया जाना जरूरी है। हालांकि बैंक पर जुर्माने से ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ सकता है और कस्‍टमर्स की सुविधा ओर सुरक्षा के लिए बैंकों पर जुर्माना लगाया गया है।

तत्कालीन पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी) के दिवालिया होने के कारण नियामक ने इन कर्जदाताओं के लिए कड़े नियमों की घोषणा करने और जांच बढ़ाने के लिए प्रेरित किया था। 29 अगस्त को, आरबीआई ने कुछ मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए पूरे भारत में आठ सहकारी बैंकों को दंडित किया था।