भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महाराष्ट्र के यवतमाल में बाबाजी दाते महिला सहकारी बैंक का लाइसेंस कर दिया है, क्योंकि इसमें कमाई की संभावनाएं नहीं थीं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस बैंक में कई तरह के कामों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब इसके खाताधारक पैसे जमा नहीं कर सकते और न ही निकासी कर सकते हैं। वहीं बैंक अब बैंकिंग संबंधी कोई भी काम नहीं कर सकता है।

आरबीआई ने ‘बैंकिंग’ के कारोबार का संचालन करने से प्रतिबंधित कर दिया गया। आरबीआई ने कहा कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं। ऐसे में यह बैंक का संचालन करने के लिए सही नहीं है। यह बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 की धारा 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।

आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस क्यों किया कैंसिल

यह बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11(1) और धारा 22 (3)(D) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है। ऐसे में यह पर्याप्‍त पूंजी की कमाई नहीं करता है। इसके अलावा, यह बैंक बैंक धारा 22(3) (A), 22 (3) (B), 22 (3) (C), 22 (3) (D) और 22 (3) (E) की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है।

आरबीआई की ओर से जांच में पता चला है कि बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के अनुसार नहीं है। अगर बैंक को अपने बैंकिंग व्यवसाय को और आगे ले जाने की अनुमति दी जाती है तो जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

क्या जमाकर्ताओं को वापस मिलेगा उनका पैसा

आरबीआई ने अपने आदेश में कहा था कि बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के साथ अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने में असमर्थ होगा। हर जमाकर्ता DICGC अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अधीन जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) से 5 लाख रुपये की मौद्रिक सीमा तक जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। इस बैंक से लगभग 79% जमाकर्ता DICGC से अपनी जमा राशि की पूरी राशि प्राप्त करने के हकदार हैं।