रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मूंदड़ा ने सोमवार (19 सितंबर) को कहा कि शून्य खातों की संख्या कम करने के लिए बैंकों की तरफ से उसमें पैसा जमा करने का मामला कोई आपराधिक कार्य नहीं है और इस प्रकार के प्रकरण से वित्तीय समावेशी के बड़े लक्ष्य से भटकना नहीं चाहिए। वित्तीय समावेश पर ब्रिक्स कार्यशाला के दौरान अलग से बातचीत में मूंदड़ा ने कहा, ‘यह कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं है। किस प्रकार की जांच हो?’ उनसे यह पूछा गया था कि शून्य खातों में पैसा डालने के आरोपों से निपटने के लिए रिजर्व बैंक क्या कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा, ‘यह संबंधित बैंकों को देखना है कि ऐसी चीजों से उनका बेकार का समय जाया तो नहीं हो रहा है जो आर्थिक रूप से उनके लिये लाभकारी नहीं है।’ मूंदड़ा ने कहा कि ऐसे कुछ छिटपुट मामले हो सकते हैं और संकेत दिया कि ऐसी गतिविधियों के बारे में ब्योरा उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस प्रकार के छोटे मामले को मुख्य बिंदु (वित्तीय समावेश) पर हावी नहीं होने देना चाहिए। सच्चाई यह है कि काफी काम हो रहे हैं। हो सकता है कुछ लोगों ने व्यक्तिगत तौर पर कुछ काम किया हो। मुझे नहीं लगता कि वह दिशानिर्देश बनेगा।’ कुछ बैंकों द्वारा शून्य खातों की संख्या कम करने के लिए उसमें राशि जमा किए जाने की रिपोर्ट आने के बाद वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंक यह जांच कर रहे हैं कि क्या कुछ जनधन खातों में खाताधारकों ने पैसे जमा किए या बैंक प्रतिनिधियों ने। ये बैंकों में पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा तथा बैंक ऑफ इंडिया हैं।