कोरोना के कारण उत्पादन प्रभावित होने और ग्लोबल सप्लाई चेन ठप होने के कारण पूरी दुनिया चिप और सेमीकंडक्टर की किल्लत का सामना कर रही है। भारत में घरेलू इंडस्ट्री भी इस समस्या से जूझ रही है। इसका फायदा उठाने की कोशिश करते हुए अब टाटा ग्रुप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में एंट्री पर विचार कर रहा है। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने यह बात कही है।
इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की एनुअल जनरल मीटिंग में बोलते हुए चंद्रशेखरन ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल मार्केट करीब 1 ट्रिलियन डॉलर का है। इस मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी पर कब्जा करने के अवसरों को भुनाने के मकसद से टाटा ग्रुप ने पहले ही नए कारोबार की स्थापना कर ली है। टाटा ग्रुप ने हाल ही में टाटा डिजिटल बिजनेस को बढ़ाने के लिए 5जी उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में कदम रखा है। इसके लिए टाटा ग्रुप ने कई कंपनियों से साझेदारी की है। वहीं, कंपनियों का अधिग्रहण भी कर रहा है।
सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग के लिए चाहिए बड़ा निवेश: सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होती है। भारत में अभी तक सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कोई कंपनी नहीं है। चंद्रशेखरन का कहना है कि इस समय ग्लोबल सप्लाई चेन पूरी तरह से चीन पर निर्भर है। कोरोना महामारी और राजनीतिक कारणों से अब कंपनियां दूसरे देशों पर निर्भर हो रही हैं। ऐसे में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में दुनिया में दूसरा बड़ा हब बनने के लिए भारत के पास यह बढ़िया अवसर है। हालांकि, उन्होंने टाटा ग्रुप के प्लान की ज्यादा जानकारी साझा नहीं की है।
विभिन्न प्लेटफॉर्म तैयार कर रहा है टाटा डिजिटल: टाटा संस के चेयरमैन चंद्रशेखरन ने कहा कि टाटा डिजिटल उपभोक्ताओं से जुड़े विभिन्न प्लेटफॉर्म्स तैयार कर रहा है। इसमें रिटेल, ट्रेवल, फाइनेंशियल सर्विसेज, हेल्थ और एजुकेशन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम बार-बार खरीदे जाने वाले उत्पादों के साथ गैर-जरूरी खर्च से जुड़े उत्पादों पर भी फोकस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी, क्लाउड और डाटा को तेजी से अपनाने की आवश्यकता है और टाटा ग्रुप इसे प्रमुख प्राथमिकता के तौर पर मानकर विचार कर रहा है।
कोरोना के कारण आई असमानता: चंद्रशेखऱन ने कहा कि कोरोना के कारण समाज में असमानता पैदा हुई है। उन्होंने सभी से स्वास्थ्य और शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए तेजी से डिजिटल सेवाओं को रोलआउट करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि डिजिटल तकनीक से ऐसी समस्याओं का समाधान करने नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। खासकर कम स्किल वाले लोगों को नौकरी मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन प्रयासों से करीब 3 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी।
सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में अमेरिका का दबदबा: सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में अमेरिका का दबदबा है। स्टेटिस्टा के डाटा के मुताबिक, 2019 में ग्लोबल सेमीकंडक्टर मार्केट में अमेरिका की 47 फीसदी हिस्सेदारी थी। 19 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दक्षिण कोरिया दूसरे नंबर पर है। इसके बाद 10-10 फीसदी हिस्सेदारी के साथ जापान तीसरे और यूरोपियन यूनियन चौथे नंबर पर हैं। 6 फीसदी हिस्सेदारी के साथ ताइवान तीसरे और 5 फीसदी के साथ चीन चौथे नंबर पर हैं। अन्य देशों की 3 फीसदी हिस्सेदारी है।
ताइवान से बढ़ी मांग: अमेरिका में कोरोना महामारी ने भारी तबाही मचाई है। इससे वहां सभी प्रकार की मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हुई है। इसके अलावा कोरोना के कारण अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय परिवहन पर भी प्रतिबंध लगा रखा है। इस कारण बाजार में सेमीकंडक्टर की कमी हो गई है। इसके बाद ताइवान में बने सेमीकंडक्टर की मांग ज्यादा हो रही है। भारतीय बाजार में भी सेमीकंडक्टर की कमी का असर दिख रहा है। कई कंपनियों ने सेमीकंडक्टर की आपूर्ति ना होने पर उत्पादन प्रभावित होने की बात कही है।