रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के पद से रिटायर होने की घोषणा के पीछे एक वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली का उनका समर्थन नहीं करना भी था। रॉयटर्स ने राजन के दोस्तों और साथियों के हवाले से यह खबर दी है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया किएक अखबार ने सप्ताहभर पहले रिपोर्ट दी थी कि आरबीआई के गवर्नर का चुनाव चयन कमिटी करेगी। इसके तहत साफ था कि राजन को सीधे-सीधे दूसरा कार्यकाल नहीं मिलेगा। अगर उन्हें इस पद पर रहना है तो अप्लाई करना होगा और चयन कमिटी के सामने दावा पेश करना होगा। हो सकता है इसी के चलते राजन को यह फैसला लेना होगा।
राजन के करीबी एक वरिष्ठ बैंकर ने बताया, ”उन्हें लगा कि यदि वे कमिटी के सामने पेश होंगे तो आरबीआर्इ गवर्नर के पद की तौहीन होगी। इससे लगेगा कि उन्हें सरकार का समर्थन नहीं है। दो और साल तक लगातार परेशान होने के बजाय उन्होंने पद छोड़ना बेहतर समझा।” राजन ने 2013 में जब पद संभाला था तो कहा था कि वे फेसबुक लाइक्स या वोट पाने की उम्मीद से काम नहीं करेंगे। सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद वे विरोध का सामना करना पड़ रहा था।
राजन ने साथी कर्मचारियों को खत में लिखा था, ”सरकार के साथ बातचीत के बाद मैं आप से कहना चाहता हूं कि मैं 4 सितम्बर 2016 को मेरे गवर्नर की अवधि खत्म होने के बाद फिर से शिक्षण कार्य में लौट जाऊंगा।” इस मामले से परिचित पांच लोगों ने बताया कि राजन ने न तो मोदी के दफ्तर से संपर्क किया और न ही दोनों के बीच कोई बैठक तय हुई। राजन के एलान पर मोदी ने भी कोर्इ कमेंट नहीं किया है। जेटली ने जरूर ट्वीट कर कहा कि वे राजन के फैसले का सम्मान करते हैं।
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राजन के साथ काम करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि वे भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों से भी परेशान थे। उन्होंने बताया, ”एक साथी के रूप में मुझे दिखता था कि वे दुखी थे। आप मेरे कौशल पर सवाल उठा सकते हैं। लेकिन यदि आप मेरे काम के प्रति मेरी वफादारी पर सवाल उठाएंगे तो उम्मीद की जाएगी कि आपका एम्पलॉयर मेरे साथ खड़ा होगा और इस तरह से चुप नहीं रहेगा।”
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एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजन ने अगले साल मार्च तक काम करने का इशारा किया था। इस अवधि में बैंकों के डूब चुके कर्ज के मामले को सुलझाना चाहते थे। राजन के दोस्तों का कहना है कि उनका परिवार चाहता था कि वे वापस अमेरिका लौट आए। उनकी पत्नी अभी भी शिकागो में पढ़ाती हैं।
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