पीएम किसान सम्मान निधि योजना में 110 करोड़ रुपये की सेंध लगाने के मामले में अब तक 90,000 अपात्र लाभार्थियों की पहचान की जा चुकी है। इस मामले की तेजी से जांच की जा रही है और अब तक 32 करोड़ रुपये सरकारी खाते में वापस किए जा चुके हैं। बीते कुछ महीनों में हुए इस घोटाले के तहत 5.5 लाख फर्जी रजिस्ट्रेशन किए गए थे और अपात्र लाभार्थियों के पंजीकरण के जरिए 110 करोड़ रुपये की रकम डकार ली गई थी। अचानक लाभार्थियों की संख्या बढ़ने पर जांच में यह घोटाला सामने आया था।

अब प्रदेश सरकार ने इस घोटाले के लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया है। राज्य सरकार का कहना है कि किसानों को खुद रजिस्ट्रेशन की सुविधा प्रदान करना और कोरोना महामारी के दौरान नियमों का आसान होना भी घोटाले के कारण हैं। दरअसल कोरोना काल के दौरान बड़ी संख्या में अपात्र लोगों को दलालों द्वारा किसान स्कीम के तहत जोड़ा गया। राज्य सरकार के अधिकारियों की मानें तो लोकल कंप्यूटर सेंटर्स के माध्यम से तमिलनाडु के 13 जिलों में एक सिंडिकेट इस घोटाले में काम कर रहा था।

पीएम नरेंद्र मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। बीते करीब एक साल से ही इस स्कीम के तहत सेल्फ रजिस्ट्रेशन का फीचर लॉन्च किया गया था। इसकी मदद से कोई भी किसान खुद घर बैठे अपना रजिस्ट्रेशन कर सकता है। राज्य सरकार का कहना है कि इस फीचर के जरिए भी घोटाला हुआ है। पिछले दिनों राज्य के सीएम के. पलनिसामी ने भी इस फीचर को घोटाले का एक कारण बताया था।

राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि सेल्फ रजिस्ट्रेशन सुविधा के कारण कृषि विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर्स ने कंप्यूटर सेंटर्स के साथ मिलकर कल्लकुरूचि- विल्लुपुरम बेल्ट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में बड़ा घोटाला किया। कोरोना महामारी में फील्ड के अधिकारी किसानों के जरूरी रिक्वायरमेंट्स में व्यस्त हो गए और ऑफिस का दौरा नहीं कर सके, जिसका घोटालेबाजों ने जमकर फायदा उठाया। बता दें कि तमिलनाडु के अलावा असम में भी 9 लाख के करीब अपात्र लाभार्थियों का मामला सामने आया है।