केंद्र सरकार की पीएम फसल बीमा योजना को तेलंगाना और झारखंड सरकारों ने अपने राज्य में बंद करने का फैसला लिया है। दोनों ही राज्यों ने स्कीम के लिए किसानों से लिए जाने वाले प्रीमियम को अधिक बताते हुए यह फैसला लिया है। किसानों के लिए इस स्कीम को स्वैच्छिक किए जाने के बाद प्रीमियम 2 से 3 फीसदी बढ़ गई थी। इन दोनों ही राज्यों में 60 लाख से ज्यादा किसानों ने स्कीम के लिए पंजीकरण कराया था। तेलंगाना और झारखंड से पहले पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और आंध्र प्रदेश ने भी राज्य में इस स्कीम को बंद करने का फैसला पहले ही ले लिया था। इस तरह अब तक 6 राज्य पीएम फसल बीमा योजना के दायरे से बाहर हो चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र और राजस्थान की सरकारें भी इस स्कीम से बाहर निकलने पर विचार कर रही हैं। इस स्कीम के तहत कुल प्रीमियम का दो फीसदी हिस्सा किसानों से वसूला जाता है। इसके अलावा अन्य बचा हुआ हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार की ओर से दिया जाता है। दोनों ही सरकारें प्रीमियम का आधा-आधा हिस्सा अदा करती हैं।
अधिकारियों के मुताबिक किसानों की संख्या कम होने के चलते प्रीमियम में इजाफा हो जाएगा और उसकी भरपाई सरकारों को अपनी ओर से करनी होगी। दरअसल नई इंश्योरेंस स्कीम के तहत असिंचित भूमि के लिए 30 फीसदी का प्रीमियम तय किया गया है, जबकि सिंचित भूमि के लिए 25 फीसदी की राशि तय की गई है।
राज्यों का कहना है कि यह राशि काफी अधिक है। एक राज्य सरकार के अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने कुछ इलाकों में अपने शेयर को सीमित कर रखा है। इसके अलावा बचे हुए हिस्से का भुगतान राज्य सरकारों और किसानों को करना होता है। हालांकि जानकारों का कहना है कि यह बीजेपी और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के बीच किसानों पर राजनीति का हिस्सा है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में पीएम किसान सम्मान निधि योजना को भी लागू नहीं किया गया है। इस स्कीम के तहत किसानों को 2000 रुपये की तीन किस्तों में सालाना 6,000 रुपये मिलते हैं।
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