कोरोना संकट से निपटने के लिए बनाए गए PM-CARES फंड में जमा होने वाली रकम का ऑडिट स्वतंत्र ऑडिटरों द्वारा कराने पर सरकार विचार कर रही है। इन ऑडिटर्स की PM-CARES फंड के ट्रस्टियों की ओर से की जाएगी, जिनमें खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। इसके साथ ही इस फंड को विदेशों से दान के लिए भी खोल दिया गया है और इसे फॉरेन कॉन्ट्रिब्यशून रेगुलेशन ऐक्ट से भी छूट हासिल होगी। इस फंड में दान करने वाले लोगों को पीएम-केयर्स फंड के पोर्टल से दान की रसीद डाउनलोड करने की सुविधा भी दी जाएगी। इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में ये दावे किए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की थी कि पीएम-केयर्स फंड में जमा रकम को पीएम रिलीफ फंड में ट्रांसफर किया जाए।
सोनिया गांधी ने कहा था कि PM-CARES फंड में जमा रकम को पीएम रिलीफ फंड में ट्रांसफर करने से पारदर्शिता आएगी और रकम का ऑडिट भी किया जा सकेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि एक ही उद्देश्य के लिए दो फंड तैयार करना क्षमता और संसाधनों को व्यर्थ करने जैसा है। हालांकि सरकार ने फंड को ट्रांसफऱ करने की उनकी मांग को खारिज कर दिया था। बता दें कि वामपंथी दलों ने भी PM-CARES फंड के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा था कि इसमें डोनेशन देने पर प्राप्ति रसीद नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सवाल उठाया था कि आखिर PM-CARES फंड की तरह ही सीएम रिलीफ फंड को कंपनियों के सीएसआर फंड से रकम क्यों नहीं मिल पा रही।
इस तरह सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने यूपीए के दौर में ही बने कानून का हवाला दिया है। अधिकारियों ने कहा कि जुलाई, 2013 में यूपीए सरकार ने जो कंपनीज ऐक्ट पारित किया था, उसमें ही राज्यों की ओर से बनाए फंड को कंपनियों के सीएसआर के दायरे से बाहर रखा गया था। गौरतलब है कि विपक्षी दलों के अलावा कई अन्य बुद्धिजीवियों ने PM-CARES फंड के नाम को लेकर आपत्ति जताई थी। उन्होंने इसे मोदी सरकार की ओर से प्रचार पाने की कोशिश करार दिया था।
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