ईपीएफओ के तहत कर्मचारियों को कई लाभ दिया जाता है। वहीं इंंटरनेशनल कर्मचारी भी कर्मचारी भविष्य निधि और कर्मचारी पेंशन योजना के तहत कई लाभ ले सकते हैं। हालांकि यह लाभ एक विदेशी देश में काम करने वाले उन कर्मचारियों को दिया जाता है, जो ईपीएफ के तहत नियम और शर्तों को पूरा करते हैं। इन कर्मचारियों को ईपीएफ का लाभ देने के लिए भारत ने कई देशों के साथ एक सामाजिक सुरक्षा समझौता किया है, जो इसके अंतर्गत आता है, उन्हें ही इसका लाभ मिलेगा।
इन कर्मचारियों को लाभ देने के लिए भारत ने वर्तमान में 20 देशों के साथ समझौता किया है। इसमें बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क, लक्जमबर्ग, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड, हंगरी, फिनलैंड, स्वीडन, चेक गणराज्य, नॉर्वे, ऑस्ट्रिया, जापान, क्यूबेक के साथ पुर्तगाल और ब्राजील शामिल हैं।
EPFO की ओर से जारी किए गए इंटरनेशनल वर्कर्स पर ब्रोशर के अनुसार, समझौता किए गए देश में काम करने के लिए जाने वाले भारतीय कर्मचारी ईपीएफओ से सर्टिफिकेट ऑफ कवरेज (सीओसी) प्राप्त कर सकते हैं, यदि वे भारत में अंशदायी पेंशन योजना में योगदान दे रहे हैं।
COC ऐसे कामगारों को SSA देश में सामाजिक सुरक्षा योगदान के भुगतान से छूट देगा। हालांकि अगर आप एक गैर-SSA देश में जा रहे हैं, तो आपको भारत में और साथ ही काम के देश में सामाजिक सुरक्षा के लिए योगदान देना पड़ सकता है। इंटरनेशन वर्कर की दो कैटेगरी- SSA देश के नागरिक जिनके पास उनके गृह देश द्वारा जारी COC है और सिंगापुर के नागरिक जो भारत सिंगापुर सीईसीए 2005 के अनुसार अपने देश की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में योगदान दे रहे हैं, को बाहर रखा गया है।
क्या मिलेगा ईपीएफ लाभ
रिटायरमेंट के बाद निकासी के अलावा, काम करने में स्थायी या पूर्ण अक्षमता और मानसिक दुर्बलता के मामले में इंटरनेशनल वर्कर अपने EPF खातों से पूरी निकासी कर सकते हैं। SSA के तहत आने वाले सदस्य रोजगार बंद होने पर पूरी राशि निकाल सकते हैं।
EPS बेनेफिट
एक इंटरनेशनल वर्कर 10 से अधिक वर्षों तक सेवा करने के बाद ईपीएस पेंशन के लिए पात्र है। SSA देश का एक इंटरनेशनल वर्कर उस स्थिति में निकासी कर सकता है, जब उसकी सेवा कुल 10 वर्ष से कम हो। वह 10 वर्ष से अधिक की सेवा के बाद 50 वर्ष की आयु से शीघ्र पेंशन का लाभ उठा सकता है। वहीं वर्कर की मौत के मामले में पेंशन नॉमिनी को मिलने लगता है।