प्रधान मंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) केंद्र सरकार की महत्‍वकांक्षी योजनाओं में से एक है। लेकिन इसके शुरू होने के लगभग आठ साल बाद बैंक अभी भी खातों को लागत के लिहाज से प्रभावी बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जन धन योजना के खातों के वहन लागत का मेंटिनेंस दिए जा रहे लाभ से भी अधिक है।

विशेषज्ञों के अनुसार, जन धन खाता मेंटेन करने के लिए औसत लागत 3,200 रुपए से 3,500 रुपए प्रति वर्ष है। भले ही अधिकांश रखरखाव प्रौद्योगिकी के माध्यम से इन्‍हें संभाला जाता है, लेकिन इसमें शामिल समय और हर नए खाते के लिए नियम व शर्तें सिरदर्द बन जाते हैं। एक एमडी ने कहा कि बैंकों के लिए इन खातों को बनाए रखने की शुद्ध लागत आने वाले महीनों में जमा आधार बढ़ने पर ही कम हो जाएगी।

उन्‍होंने कहा कि वर्तमान में, जन-धन खाते में औसत जमा राशि लगभग 3,000 रुपए है, जो अंततः 5,000 रुपए से 6,000 रुपए तक बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन यह एक धीमी और लंबी प्रक्रिया है।

कितने जुड़े लाभार्थी
भारत में हर बैंक रहित घर के दरवाजे तक किफायती बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं को लाने के लिए, नरेंद्र मोदी सरकार ने अगस्त में पीएमजेडीवाई की शुरुआत की थी। इसके बाद इसमें आवेदन करने वालों की संख्‍या मे बड़ा इजाफा हुआ। सरकारी आंकड़ों अनुसार, अब तक 454.7 मिलियन लाभार्थियों ने जन-धन खाते खोले हैं। इसमें अभी तक 167,400 करोड़ रुपए से अधिक जमा किए गए हैं।

बैंकों पर किस तरह का बोझ
कोविड-19 महामारी के दौरान बहुत से खाते इस योजना के तहत खोले गए थे, लेकिन कई खाते निष्क्रिय हो चुके हैं या बहुत कम उपयोग किए जाते हैं। इससे बैंकों की वहन लागत बढ़ जाती है। उनमें से कई के पास कम जमा भी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 13 अप्रैल तक प्रति खाता औसत जमा 3,723 रुपए था। अगस्त 2021 में कुल 430.4 मिलियन PMJDY खातों में से केवल 368.6 मिलियन सक्रिय खाते हैं।

बैंकों को नहीं मिल रहा मार्जिन
बता दें कि बैंक अपना अधिकांश पैसा जमाकर्ताओं के पैसे को एक निश्चित ब्याज दर पर उधार देकर बनाते हैं। जमाकर्ताओं को अपना पैसा बैंकों में जमा करने पर ब्याज भी दिया जाता है। ऐसे में दोनों के बीच का अंतर ही बैंकों का लाभ होता है। इस प्रकार, रकम जितनी अधिक जमा होगी बैंकों को लाभ उतना ही अधिक होगा।

कितना मिलता है जन धन खाते पर ब्‍याज
गौरतलब है कि जन-धन बचत बैंक खाते के लिए लागू ब्याज दर वर्तमान में अधिकांश सरकारी बैंकों के लिए लगभग 4 प्रतिशत है। यह नियमित बचत बैंक खातों पर दिए जाने वाले ब्याज से अधिक है, जो 2.75 प्रतिशत से 3.50 प्रतिशत के बीच है।

रखरखाव की लागत
एक बार जन-धन खाता खुल जाने के बाद, बैंकों को चेकबुक और रुपे डेबिट कार्ड जारी करने जैसे रखरखाव कार्य करने की आवश्यकता होती है, जो अतिरिक्त लागत भार वहन करते हैं। यह उस रिटर्न के बराबर नहीं होता है, जो बैंकों को इन खातों से मिलता है। यह बैंकों के खातों के प्रति उत्साह की कमी को भी स्पष्ट करता है।