केंद्र सरकार सीनियर सिटीजन को इनकम टैक्स में कई रियायत देती है। जिसमें सालाना आमदनी पर आयकर की छूट तो मिलती है, साथ में दूसरे रास्तों से डिडक्शन का फायदा भी मिलता है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि, सिनियर सिटीजन की आय के स्त्रोत काफी कम होते हैं और उनकी दवा आदि पर होने वाला खर्च काफी ज्यादा होता है। जिसके चलते सरकार 60 से 80 साल तक की उम्र के सीनियर सिटीजन को इनकम टैक्स में छूट देती है। वहीं 80 साल से ज्यादा आयु वाले लोगों को सुपर सीनियर सिटीजन कहा जाता है। जिन्हें सीनियर सिटीजन से ज्यादा फायदा मिलता है। अगर आपके घर में भी कोई सीनियर सिटीजन या सुपर सीनियर सिटीजन है तो आइए जानते हैं कि, उनको कैसे इनकम टैक्स में फायदा मिल सकता है।

इनकम टैक्स छूट की सीमा – अभी 60 साल से कम उम्र के लोगों को सालाना 2 लाख 50 हजार रुपये तक की आमदनी पर टैक्स नहीं चुकाना होता। वहीं सीनियर सिटीजन के लिए ये सीमा 3 लाख रुपये और सुपर सीनियर सिटीजन के लिए ये सीमा 5 लाख रुपये है। जिसका सीधा मतलब है कि, सालाना इतनी आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना होता।

निवेश पर मिलने वाली ब्याज पर छूट – सीनियर सिटीजन जीवन भर की सेविंग को फिक्स्ड डिपॉजिट करके उससे मिलने वाली ब्याज से अपना खर्च चलाते हैं। ऐसे में सीनीयर सिटिजन को 80TTB के तहत फाइनेंशियल ईयर में 50 हजार रुपये तक की आय पर टैक्स में छूट मिलती है। जबकि इससे अतिरिक्त आया पर टैक्स देना होता है।

मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर डिडक्शन – सीनियर सिटीजन को एक साल में 50 हजार रुपये तक के मेडिकल इंश्योरेंस पर डिडक्शन का फायदा मिल सकता है। जिसमें सीनियर सिटीजन को इनकम टैक्स अधिनियम के सेक्सन 80D के अनुसार छूट मिलती है।

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मेडिकल खर्चों पर टैक्स छूट – हम सभी जानते हैं कि उम्र के साथ दवाओं का खर्च काफी अधिक बढ़ जाता है, इसीलिए सरकार ने भी सीनियर सिटीजन को आयकर में अधिक छूट दी है। सीनियर सिटीजन की ओर से साल भर में जो मेडिकल खर्च होता है, उस पर भी टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है। आयकर अधिनियम के सेक्शन 80 डीडीबी के तहत एक सीनियर सिटीजन 1 लाख रुपये तक के मेडिकल खर्च पर डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं।