भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 18 जून को घोषणा की कि मिलथ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, दावणगेरे, कर्नाटक का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है, क्‍योंकि इस बैंक में बिजनेस और लेनदेन करने के लिए पर्याप्‍त पूंजी नही है। इसके बाद इसका परिचालन कार्य बंद कर दिया गया है। आरबीआई ने प्रेस से जानकारी दी है कि कर्नाटक के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से भी बैंक को बंद करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने की भी अपील की है।

आरबीआई के अनुसार, बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं। इस कारण बैंक यह बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11(1) और धारा 22 (3)(डी) के नियमों को पालन नहीं करता है। इसलिए इसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।

आरबीआई ने कहा कि बैंक चालू रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के लिए हानिकारक होगा। आरबीआई ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के साथ अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने में असमर्थ होगा, और अगर बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाती है, तो लोगों के हित के लिए यह अच्‍छा नहीं होगा।

जमा हुए पैसों का क्‍या
आरबीआई द्वारा इसके लाइसेंस बंद कर दिए जाने के बाद अब कोई भी पैसे की न तो निकासी कर सकता है ओर न ही जमा कर सकता है और न ही पैसे की निकासी कर सकते हैं। हालाकि अगर आपका इस को-ऑपरेटिव बैंक में पैसा जमा है तो आप डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के परिसमापन पर, प्रत्येक जमाकर्ता जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से अपनी जमा राशि की जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा।

सभी को दी जाएगी राशि
बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, सभी जमाकर्ताओं को जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से उनकी जमा राशि की पूरी राशि प्राप्त होगी। आरबीआई ने कहा कि 18 मई, 2022 तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त इच्छा के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18 ए के प्रावधानों के तहत कुल बीमित जमा राशि का 10.38 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।