डिजिटल सिग्‍नेचर सर्टिफिकेट कागजी प्रमाण पत्र का डिजिटल रूप है। इसे किसी की पहचान साबित करने, इंटरनेट पर जानकारी या सेवाओं तक पहुंचने या कुछ दस्तावेजों पर डिजिटल रूप से सिग्‍नेचर करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से उपयोग में लाया जाता है। आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग, GST ई- फाइलिंग, सरकारी ऑनलाइन टेंडरिंग आदि के लिए इस सर्टिफिकेट का उपयोग होता है।

कौन जारी करता है यह सर्टिफिकेट

डिजिटल सिग्‍नेचर सर्टिफिकेट को एक लाइसेंस प्राप्‍त ऑथोरिटी की ओर से जारी किया जा सकता है। ऑथोरिटी की पूरी जानकारी और लिस्‍ट MCA पोर्टल पर उपलब्‍ध है, जिसे mca.gov.in/MinistryV2/certifyingauthorities.html पर जाकर देखा जा सकता है।

डिजिटल सिग्‍नेचर सर्टिफिकेट के प्रकार

डीएससी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। क्लास 2 के तहत किसी व्यक्ति की पहचान एक विश्वसनीयता, प्री वेरिफाइड डेटाबेस के खिलाफ वेरिफाई की जाती है। वहीं क्‍लास 3 के तहत व्यक्ति को रजिस्‍टर्ड ऑथोरिटी (आरए) के सामने खुद को पेश करने और अपनी पहचान साबित करने की आवश्यकता के तहत उपयोग किया जाता है।

कितना लगता है चार्ज

डिजिटल सिग्‍नेचर सर्टिफिकेट पाने करने की लागत अलग-अलग होती है, क्योंकि डीएससी जारी करने वाली कई संस्थाएं हैं और उनके शुल्क भी अलग-अलग हो सकते हैं।

डीएससी कैसे प्राप्‍त कर सकते हैं

डिजिटल सिग्‍नेचर सर्टिफिकेट पाने के लिए एक फॉर्म भरना होगा, जिसे स्व-सत्यापित पहचान और पते के प्रमाण जमा करना होगा। कोई भी आधार और पैन आधारित ऑनलाइन आवेदन का विकल्प का चयन किया जा सकता है। निर्धारित शुल्क के भुगतान के बाद, आवेदक को प्रमाणित ऑथोरिटी को एक रिकॉर्डेड वीडियो जमा करके एक ई-केवाईसी पूरा करना होगा। इसके बाद इस सर्टिफिकेट को जारी कर दिया जाएगा। यह एक पीडीएफ या वर्ड फाइल में हो सकता है।

किन बातों का रखें ध्यान

गौरतलब है कि आज के समय में डीएससी 2 जारी नहीं किया जाता है और न ही इसे रिन्‍यू किया जाता है, जबकि डीएससी 3, जो अत्यधिक सुरक्षित हस्ताक्षर है, आवेदकों को जारी किया जाता है। डिजिटल हस्ताक्षर कानूनी रूप से कानूनी रूप से स्वीकार्य हैं और इसे आईटी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के तहत प्रदान किया गया है।