अगर आप घर खरीदने या निर्माण करने का मन बना रहे हैं तो उसके लिए काफी रुपयों की जरुरत होती है। यदि आप इसके लिए लोन लेते हैं तो इसके लिए आपको काफी कुछ असेसमेंट करना होता है। खास बात तो ये है कि घर खरीदने के लिए लोन लेने से पहले आपको डाउन पेमेंट की व्यवस्था करनी होती है। जिसका एक ऑप्शन प्रोविडेंट फंड है। ईपीएफ अकाउंट आपको घर खरीदने के लिए रुपए निकालने की परमीशन देता है। आज आपको यही बताने जा रहे हैं कि आखिर घर खरीदने के लिए अगर आप ईपीएफ अकाउंट का यूज करते हैं तो इसका क्या प्रोसेस है और इसके क्या फायदे और नुकसान हैं।
अगर आप खरीदने जा रहे हैं घर : ईपीएफ स्कीम 1952 की धारा 68बी के अनुसार, कोई भी कर्मचारी स्पेसिफाइड शर्तों के साथ घर खरीदने या घर का निर्माण करने के लिए ईपीएफ बैलेंस अकाउंट से राशि को निकालन सकता है। अगर आप घर बनाने के लिए प्लॉट खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कम से कम 24 महीने का मूल वेतन और कर्मचारी के महंगाई भत्ता या प्लॉट की वास्तविक लागत तक ही राशि मिलेगी।
वहीं रेडी टू मूव-इन हाउस के मामले में, जैसा कि ऊपर बताया गया है, 24 महीने की अवधि को 36 महीने से बदल दिया जाएगा। या फिर ईपीएफ अकाउंट से आप कुल अमाउंट का 90 फीसदी तक निकाल सकते हैं। यह सुविधा उन्हीं लोगों को मिलेगी जिन्होंने कम से कम पांच साल की नौकरी पूरी कर ली हो।
अगर किसी ऐसे लैंड पर घर का निर्माण किया जा रहा है जो वो लैंड पति और पत्नी दोनों के नाम है तो आप ईपीएफ से किश्तों में भी रुपया निकाल सकते हैं। इसके शर्त यह है कि पहली किश्त मिलने पर 6 महीने के अंदर काम शुरू हो जाना चाहिए और अंतिम मिलने के बाद से 12 महीने के अंदर काम पूरा हो जाए। वहीं घर खरीद रहे हैं तो रुपया मिलना के 6 महीने के अंदर ट्रांजेक्शन हो जाना काफी जरूरी है।
होम लोन के भुगतान के लिए पीएफ निकाले जाने पर : ईपीएफ योजना की धारा 68-बीबी के अनुसार, कर्मचारी निवेशक या उसके पति या पत्नी पर होम लोन का बकाया है और उसका भुगतान करना है तो ऐसे मामले में भी आप ईपीएफ से रुपया निकाल सकते हैं। इस प्रकार, यदि किसी कर्मचारी ने किसी बकाया घर के डाउन पेमेंट के लिए ऋण लिया है, तो वह ऐसे लोन के भुगतान के लिए ईपीएफ की राशि का यूज कर सकता है।
हालांकि, यह आवश्यक है कि इस तरह के लोन राज्य सरकार, पंजीकृत सहकारी समिति, राज्य आवास बोर्ड, नेशनलाइज बैंक, सरकारी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस, नगर निगम या दिल्ली विकास प्राधिकरण के समान निकाय आदि से लिया गया हो। इसके लिए आपको पीएफ से 36 महीने का बेसिक और डीए के बराबर राशि दी जाएगी। वहीं कर्मचारी की कम से कम 10 वर्ष की सर्विस होना जरूरी है।
पीएफ निकालने के फायदे और नुकसान : डाउन-पेमेंट या होम लोन चुकाने के लिए पीएफ से रुपया निकालने पर इसके फायदे और नुकसान दोनों सामने आते हैं। अगर बात फायदे की करें तो अगर आपकी प्रॉपर्टी की कीमत आने वाले से समय में पीएफ के मुकाबले ज्यादा होने की संभावना है तो यह एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।
वहीं दूसरी ओर अगर ईपीएफ में आपको फिक्स्ड डिपॉजिट और जीपीएफ से ज्यादा रिटर्न मिल रहा है तो आप दूसरी निवेश योजनाओं से रुपया निकालकर डाउनपेमेंट की राशि का के मुकाबले आपको ज्रहालांकि, यदि ईपीएफ रिटर्न अधिक है (वर्तमान में 8.5 प्रतिशत पर) निवेश के अन्य तुलनीय तरीकों जैसे कि सावधि जमा और सार्वजनिक भविष्य निधि की तुलना में, अन्य तरीकों के माध्यम से डाउन-पेमेंट को निधि देना बेहतर है।
क्या टैक्स में मिलती है छूट : प्रॉपटी खरीदने के लिए आपको ईपीएफ से एकमुश्त रकम निकालनी पडती है। इसके लिए आपको इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 10(12) के तहत छूट मिलती है। इसमें शर्त यह है आपकी 5 साल या उससे ज्यादा की हो गई हो।