बिजली वितरण कंपनियों पर बिजली उत्पादकों का कुल बकाया गत अगस्त में एक साल पहले की तुलना में करीब 57 प्रतिशत बढ़कर 78,020 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। यह क्षेत्र में उभरते वित्तीय संकट को दर्शाता है। बिजली मंत्रालय के प्राप्ति पोर्टल के अनुसार, अगस्त 2018 में यह बकाया 49,669 करोड़ रुपए था। बिजली के सौदों में पारर्दिशता लाने के उद्येश्य से इस पोर्टल की शुरूआत मई 2018 में हुई।
अगस्त में, 60 दिन से अधिक पुराना बकाया 59,532 करोड़ रुपए था जबकि पिछले साल इस प्रकार का बकाया इसी महीने 34,464 करोड़ रुपए था। बिजली उत्पादक वितरण कंपनियों को भुगतान के लिए 60 दिन का समय देते हैं। उसके बाद बकाया राशि को पुराने बकायों की श्रेणी में रख दिया जाता तथा उसपर उत्पादक ज्यादातर मामलों में दंड ब्याज लगाते हैं। बिजली उत्पादन कंपनियों को राहत देने के लिये केंद्र ने एक अगस्त से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू की। इस व्यवस्था के तहत वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति के लिए साख पत्रों की व्यवस्था करने की जरूरत है।
पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़े के अनुसार कुल बकाया राशि और भुगतान के लिए 60 दिन की मोहलत खत्म होने के बाद भी बिजली की नहीं चुकाई गई राशि इससे पिछले महीने की तुलना में बढ़ी है। जुलाई 2019 में बिजली वितरण कंपनियों पर कुल बकाया 76,467 करोड़ रुपए था। जबकि 60 दिन की मोहलत के बाद की बकाया राशि 56,556 करोड़ रुपए थी। जिन बिजली वितरण कंपनियों पर सर्वाधिक बकाया है , उनमें दिल्ली, राजस्थान , जम्मू – कश्मीर , तेलंगाना , आंध्र प्रदेश , कर्नाटक , तमिलनाडु की वितरण इकाइयां शामिल हैं। वे किसी किसी भुगतान में 878 दिन तक का समय लगा दे रही हैं। दिल्ली की वितरण इकाइयां भुगतान करने में 878 दिन तक ले रही हैं।
राज्यों में, आंध्र प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियां भुगतान में 852 दिन तक का समय लगा रही हैं। राजस्थान में (851 दिन), हरियाणा (849 दिन), मध्य प्रदेश (836 दिन) तेलंगाना (829 दिन) और तमिलनाडु (823 दिन) तक का बकाया चल रहा था। कुल 59,532 करोड़ रुपए के में स्वतंत्र बिजली उत्पादकों की हिस्सेदारी 24.6 प्रतिशत से अधिक है। सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादक कंपनियों में एनटीपीसी का वितरण कंपनियों पर 8,452.58 करोड़ रुपए, एनएलसी इंडिया का 4,691.49 करोड़ रुपए, एनएचपीसी का 2,324.05 करोड़ रुपए, टीएचडीसी इंडिया 1,936.11 करोड़ रुपए तथा दामोदर घाटी निगम का 805.71 करोड़ रुपए बकाया है।
जिन बिजली वितरण कंपनियों पर सर्वाधिक बकाया है, उसमें अडाणी पावर (3,794.49 करोड़ रुपये), बजाज समूह के स्वामित्व वाली ललितपुर पावर जनरेशन कंपनी (2,212.66 करोड़ रुपये) तथा जीएमआर (1,829.68 करोड़ रुपये) शामिल हैं।