आज यानी 20 अगस्त 2025 को संसद में ऑनलाइन गेमिंग विधेयक पेश होने वाला है। इसके पेश होने से पहले गेमिंग इंडस्ट्री में काफी हंगामा मचा हुआ है। अखिल भारतीय गेमिंग महासंघ (AIGF), ई-गेमिंग महासंघ (EGF) और भारतीय फ़ैंटेसी खेल महासंघ (FIFS) ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर प्रस्तावित विधेयक (Proposed Bill) पर तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।

AIGF ने कहा कि अगर यह बिल अपने मौजूदा रूप में पास हो गया, तो लाखों-करोड़ों रियल गेम खेलने वाले लोग गैर-कानूनी जुआ प्लेटफॉर्म और बिना रेगुलेशन वाले ऑपरेटरों की तरफ जा सकते हैं। संगठन ने चेतावनी दी कि ऐसा कदम इस तेजी से बढ़ते उद्योग के लिए “मौत की घंटी” साबित होगा, जो आज रोजगार देता है और नए मौके पैदा करता है।

TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस कदम से लगभग 4 लाख कंपनियों, 2 लाख नौकरियों, 25,000 करोड़ रुपये के निवेश और 20,000 करोड़ रुपये के सालाना GST कलेक्शन को खतरा हो सकता है।

गेमिंग कंपनियों के अधिकारियों ने चिंता जताई कि अगर यह कानून पास हो गया, तो उन्हें रेवेन्यू अर्जित करने का कोई स्पष्ट तरीका न होने के वजह से अपना कामकाज बंद करना पड़ सकता है।

गेमिंग संस्थानों ने कहा कि बैन लगाने की बजाय सरकार को आगे बढ़कर बेहतर नियम बनाने पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि अगर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया, तो इससे पूरे सेक्टर नुकसान झेलना पड़ेगा।

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ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स की चेतावनी

इंडस्ट्री के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर नया कानून लागू हुआ, तो इस सेक्टर्स की कई कंपनियों को बंद होने पर मजबूर होना पड़ सकता है। फ़ैंटेसी गेमिंग सेक्टर में काम करने वाली एक प्रमुख कंपनी के एक अधिकारी ने TOI को बताया कि सरकार पहले भी नीतिगत मुद्दों पर उनके साथ कई बार बातचीत कर चुकी है, लेकिन इस बार एक ऐसे प्रस्ताव पर कोई खास विचार-विमर्श नहीं हुआ जो इंडस्ट्री को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

एक्सपर्ट ने यह भी बताया कि फैंटेसी गेमिंग प्रायोजन घरेलू खेलों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं। कई राज्य और शहर स्तर की T20 लीग अपने अस्तित्व के लिए इसी समर्थन पर निर्भर हैं। अगर यह सेक्टर खत्म हो जाता है, तो भारतीय क्रिकेट और अन्य खेलों के लिए प्रतिभाओं की उपलब्धता कमजोर हो सकती है।

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कुछ प्लेटफॉर्म विदेशों में शिफ्ट कर सकते हैं अपना कामकाज

इंडस्ट्री सूत्रों ने आगाह किया है कि यदि कानून बहुत अधिक प्रतिबंधात्मक है, तो कुछ प्लेटफॉर्म विदेशों में अपने कामकाज को शिफ्ट कर सकते हैं। वहीं, ढीली KYC और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग जांच वाले अनियमित ऐप्स इस खाली जगह को भर सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का इससे टैक्स कलेक्शन कम होगा और यूजर्स के लिए खतरा बढ़ जाएगा।