राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दल के सदस्यों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हुई भारी कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं को नहीं देने का आरोप लगाया और सरकार की खिंचाई की। वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार का पूरा प्रयास है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई खासी कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं के अलावा राज्यों और तेल कंपनियों को भी मिले।
उच्च सदन की सुबह बैठक शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि से संबंधित अनुपूरक एजंडा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कच्चे तेल की कीमतों में कमी का लाभ आम लोगों को नहीं देने और उत्पाद शुल्क में वृद्धि किए जाने का भारी विरोध किया। उनका कहना था कि सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हुई भारी कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं को नहीं दे रही है और अपना खजाना भर रही है। उन्होंने सरकार पर मुनाफाखोरी करने का भी आरोप लगाया।
जेटली ने उत्पाद शुल्क में वृद्धि को उचित ठहराते हुए कहा कि सरकार उचित वित्तीय प्रबंधन कर रही है और पहली बार बिना बजटीय कटौती के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि विगत में सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए खर्च में कटौती करती थी। एक बार तत्कालीन यूपीए सरकार ने 1.20 लाख करोड़ रुपए की कटौती की थी। भारत को तेल की घटती कीमतों का लाभ उठाना चाहिए। कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी का लाभ उपभोक्ताआेंं को दिया गया है और पेट्रोल की कीमतों में 20 बार व डीजल की कीमतों में 16 बार कटौती की गई है।
जेटली ने आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि कई बार जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की गई तो कई राज्यों ने वैट बढ़ा दिया। उत्पाद शुल्क से मिलने वाली राशि का 42 फीसद हिस्सा वित्त आयोग की सिफारिशों के आलोक में राज्यों को मिलता है। पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क का एक हिस्सा राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों के निर्माण में जाता है। जो लोग सड़क पर गाड़ियां चलाते हैं, उन्हें इसके लिए भुगतान करना चाहिए। इसके अलावा तेल कंपनियों को भी अपने अतीत के नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली है। विगत में केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर सब्सिडी देती थी ताकि तेल कंपनियों के नुकसान की भरपाई हो सके।
इसके पहले कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने भाजपा नीत सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वह मुनाफाखोरी कर रही है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत एक समय 112 डॉलर प्रति बैरल थी । यह अब 35 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। लेकिन आम लोगों का अपेक्षित लाभ नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने लंबे चौड़े वादे किए थे। लेकिन अभी तक अच्छे दिन नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी होने से सरकार को 88 अरब डॉलर की बचत हुई है।
माकपा के तपन कुमार सेन ने भी उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने का विरोध किया और कहा कि अगर सही तरीके से मूल्य निर्धारत हो तो पेट्रोल और डीजल की मौजूदा कीमतें आधी रह जाएंगी। सपा के राम गोपाल यादव ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में भारी कमी होने के बाद भी उपभोक्ता को राहत नहीं मिलना चिंता की बात है। उन्होंने मांग की कि की गई वृद्धि को वापस ले लिया जाना चाहिए।
जद(एकी) के शरद यादव ने कहा कि देश में पहले से ही भारी महंगाई है और सरकार को देश को राहत देने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार अपना खजाना ठीक करने के लिए ऐसा कर रही है। बसपा के एससी मिश्रा ने कहा कि सरकार को आम उपभोक्ताओं और किसानों को फायदा पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। बीजद के भूपेंद्र सिंह ने कहा कि राज्यों का वैट कम हो रहा है और क्या सरकार उन्हें समर्थन देगी। द्रमुक के केपी रामलिंगम, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय, शिरोमणि अकाली दल के एसएस ढींढसा, अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन और भाकपा के डी राजा ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए।