NPS Rules Revised: पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने एक सर्कुलर जारी किया है। इसके मुताबिक, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत कॉर्पोरेट नियोक्ता और कर्मचारी पेंशन फंड और निवेश विकल्पों पर निर्णय कैसे ले सकते हैं, इसमें संशोधन करते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह सर्कुलर 12 सितंबर, 2025 को जारी सर्कुलर में आंशिक संशोधन के रूप में जारी किया गया है। आगे बढ़ने से पहले, आइए समझते हैं कि कॉर्पोरेट एनपीएस क्या है और यह कैसे काम करता है…
कॉर्पोरेट एनपीएस क्या है?
कॉर्पोरेट एनपीएस मॉडल नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों को एनपीएस लाभ प्रदान करने की अनुमति देता है। नियोक्ता और कर्मचारी दोनों कर्मचारी के एनपीएस खाते में योगदान कर सकते हैं, जिससे बाजार से जुड़े रिटर्न के साथ रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद मिलती है।
यह कैसे काम करता है?
कॉर्पोरेट मॉडल के तहत, कंपनियां दो अंशदान संरचनाओं (संयुक्त अंशदान या केवल नियोक्ता अंश) में से चुन सकती हैं, जहां केवल कंपनी योगदान करती है।
कर्मचारियों के पास अतिरिक्त स्वैच्छिक अंशदान करने और अपनी रिस्क क्षमता के आधार पर विभिन्न पेंशन फंड और निवेश योजनाओं में से चयन करने की भी सुविधा होती है।
कॉर्पोरेट एनपीएस मॉडल के तहत कर्मचारी-स्वतंत्र विकल्प भी उपलब्ध है। इसके तहत, कर्मचारी नियोक्ता की भागीदारी के साथ या उसके बिना, स्वयं एनपीएस में योगदान कर सकते हैं।
निवेश विकल्पों के प्रावधानों में संशोधन
हाल ही में अपने सर्कुलर में पीएफआरडीए ने कॉर्पोरेट ग्राहकों के लिए पेंशन फंड और निवेश विकल्पों के चयन के प्रावधानों में संशोधन किया है।
पेंशन फंड नियामक ने कहा कि “कुछ कॉर्पोरेट क्षेत्र के नियोक्ताओं के बीच अपने कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से संयुक्त अंशदान संरचना के तहत निवेश हेतु पेंशन फंड और परिसंपत्ति आवंटन के चयन को लेकर कुछ आशंकाएं रही हैं।”
इन चिंताओं को दूर करने के लिए, पीएफआरडीए ने कहा कि पेंशन फंड और निवेश योजनाओं के चयन का निर्णय अब प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच एक औपचारिक और आपसी समझौते के माध्यम से लिया जाना चाहिए।
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आपसी समझौता और वार्षिक समीक्षा
सर्कुलर के मुताबिक, “पेंशन फंड के प्रारंभिक निर्णय की नियोक्ता द्वारा वार्षिक आधार पर समीक्षा की जाएगी।” पेंशन फंड में कोई भी बदलाव आपसी समझौते की पूर्व-निर्धारित शर्तों और फंड के दीर्घकालिक प्रदर्शन पर आधारित होना चाहिए।
पीएफआरडीए ने इस बात पर ज्यादा जोर दिया कि पेंशन निवेश लॉन्ग टर्म नेचर के होते हैं और इन पर अल्पकालिक बाजार की गतिविधियों का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। सर्कुलर के मुताबिक, “लॉन्ग टर्म नेचर के धन-सृजनकारी उत्पादों पर प्रभाव डालने वाले निर्णय… आमतौर पर अल्पकालिक बचत से जुड़े आवेगों से प्रेरित नहीं होते हैं।”
स्वैच्छिक निवेश कर सकते हैं कर्मचारी
नियोक्ता-कर्मचारी अंशदान संरचनाओं के अलावा, सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि कर्मचारी एनपीएस के अंतर्गत मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क के तहत प्रस्तावित योजनाओं में स्वैच्छिक अंशदान कर सकते हैं।
सर्कुलर के मुताबिक, आपसी समझौतों में योजनाओं के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध होने चाहिए ताकि विभिन्न कर्मचारियों की रिस्क क्षमता को अर्जेस्ट किया जा सके।
शिकायत निवारण तंत्र और संचालन संबंधी दिशा-निर्देश
शिकायत निवारण के लिए, सर्कुलर में कहा गया है कि “शिकायत का पहला स्तर किसी कर्मचारी द्वारा कंपनी के मानव संसाधन विभाग में दर्ज किया जाएगा और मानव संसाधन विभाग द्वारा निष्क्रियता का प्रमाण मिलने पर ही शिकायत को आगे बढ़ाया जा सकता है।”
इसके अलावा, कंपनियां कर्मचारियों को “किसी भी अपनी निवेश योजनाओं या पेंशन फंडों का स्वतंत्र रूप से चयन करने की अनुमति दे सकती हैं।
नियोक्ता को पीएफआरडीए (पॉइंट्स ऑफ प्रेजेंस) विनियम, 2018 के विनियम 15 के तहत कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के अनुसार एनपीएस सेवाओं के लिए पॉइंट्स ऑफ प्रेजेंस (POP) के साथ भी जुड़ना होगा।
पीओपी को निर्देश दिया गया है कि वे आपसी समझौते के विवरण को उचित माध्यमों से केंद्रीय रिकॉर्डकीपिंग एजेंसियों (CRA) को सूचित करें। सर्कुलर के मुताबिक, “सीआरए नियोक्ता द्वारा जारी निर्देशों के बिना प्रणाली में कोई भी बदलाव नहीं करेंगे।”
बदलाव क्यों है महत्वपूर्ण?
नए सर्कुलर का उद्देश्य कॉर्पोरेट एनपीएस प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता और लचीलापन लाना है। आपसी सहमति और वार्षिक समीक्षा को अनिवार्य बनाकर, पीएफआरडीए यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कर्मचारियों की रिटायरमेंट बचत का प्रबंधन जिम्मेदारी से किया जाए, साथ ही कॉर्पोरेट्स को पेंशन फंड विकल्पों को संभालने के लिए एक संरचित प्रक्रिया प्रदान की जाए।
