भारत ने रविवार (4 सितंबर) को ब्रिक्स देशों से आतंकवाद पर काबू पाने के लिए सामूहिक प्रयास तेज करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तरह से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए ब्रिक्स के नेताओं का अह्वान किया कि ‘आतंकवाद के समर्थकों और प्रायोजकों’ को अलग-थलग करने के लिए समूह द्वारा समन्वित कार्रवाई की जाए। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। यहां जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स नेताओं की एक बैठक में मोदी ने सख्त शब्दों में कहा कि दक्षिण एशिया या किसी अन्य क्षेत्र में भी आतंकवादियों के पास न तो बैंक है और न ही हथियारों का कारखाना है..इससे साफ पता चलता है कि कोई न कोई उनको पैसा और हथियार दे रहा है।

मोदी ने कहा कि ब्रिक्स को आतंकवाद से लड़ने के लिए संयुक्त प्रयासों के लिए समन्वित कार्रवाई भी करनी चाहिए जिससे आतंकवाद के समर्थकों और प्रायोजकों को अलग-थलग किया जा सके। उनका स्पष्ट इशारा चीन के नजदीकी सहयोग पाकिस्तान की ओर था। प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय संवाद में ब्रिक्स को एक प्रभावशाली आवाज करार दिया है। उन्होंने रविवार को कहा कि यह ब्रिक्स समूह की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वह वैश्विक एजेंडा को आकार दे, जिससे विकासशील राष्ट्रों को अपने उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि आतंकवाद अस्थिरता का प्रमुख स्रोत है और यह हमारे समाज और देशों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जरिये कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार इस खतरे का बढ़ता आयाम है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘ब्रिक्स नेताओं की बैठक को मोदी के संबोधन से पता चलता है कि हमारे प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के मसले पर कितने जोरदार तरीके से हस्तक्षेप किया है और कैसे उनका मानना है कि यह इस समय यह सबसे बड़ी चुनौती तथा सामूहिक प्रयासों के बिना हमारे लिए इसे पराजित कर पाना संभव नहीं है। बाद में समूह की ओर से जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘नेताओं ने मजबूती से आतंकवाद के घृणित कार्य की आलोचना की। आतंकवाद लगातार वैश्विक शांति और सुरक्षा को बाधित कर रहा है तथा आर्थिक और सामाजिक विश्वास को चोट पहुंचा रहा है।’

ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवाद के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए हाल में दुनिया के विभिन्न शहरों में आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की। स्वरूप ने कहा कि गोवा में 15-16 अक्तूबर को होने वाले आठवें वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले अन्य ब्रिक्स नेताओं के साथ अनौपचारिक विचार विमर्श महत्वपूर्ण है। मोदी ने ब्रिक्स नेताओं से अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि ब्रिक्स के रूप में हम अंतरराष्ट्रीय बातचीत या संवाद में एक प्रभावशाली आवाज हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय एजेंडा को आकार देना हमारी साझा जिम्मेदारी है। पूर्वी चीन के शहर में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय एजेंडा को हमें साझा रूप से इस प्रकार से आकार देना चाहिए जिससे विकासशील राष्ट्रों को अपने उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिल सके।’

ब्रिक्स में पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। दुनिया की आबादी का 43 प्रतिशत इन देशों में रहता है। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में इन देशों का हिस्सा 37 प्रतिशत का है। वैश्विक कारोबार में ब्रिक्स की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमें दायित्वपूर्ण, समावेशी और सामूहिक समाधान निर्माण का विषय चुना है। जी-20 शिखर सम्मेलन में यह केंद्रीय प्राथमिकताओं में होंगे।’ इस बैठक में जिन चार अन्य नेताओं ने भाग लिया उनमें ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल तेमेर, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तथा दक्षिणी अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा शामिल हैं।

मोदी ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि अगले महीने हमारा शिखर सम्मेलन आपसी संबंधों को गहराई देने का अवसर ही नहीं होगा बल्कि हम भारत के बिम्सटेक के पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमा तथा थाइलैंड से भी बातचीत करेंगे, जिन्हें उसी दौरान वहां अन्य देशों के साथ सम्पर्क के लिए आयोजित विशेष सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा हम अगले महीने गोवा में आप सभी का स्वागत करते हैं।

वर्ष 2006 में जी-आठ के सम्पर्क-विस्तार सम्मेलन के मौके पर अगलग से रूस, भारत और चीन के नेताओं के बीच सेंट पीट्सबर्ग में बैठक के बाद बिक्र की शुरुआत हुई थी। न्यूयार्क में 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर अलग से ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की औपचारिक बैठक के दौरान इस समूह को अंतिम रूप दिया गया। पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन 16 जून, 2009 को रूस के येकातेरिनबर्ग में हुआ। ब्रिक में सितंबर, 2010 को ब्रिक विदेश मंत्रियों की न्यूयार्क में हुई बैठक में दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया। इससे यह समूह ब्रिक्स हो गया।