बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से संकट में फंसे किसानों की ओर मदद का हाथ बढ़ाते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज फसल नुकसान से जुड़े मानदंडों में ढील देने की घोषणा की जिससे किसानों को अधिक मुआवजा और सरकारी सहायता मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने बैंकों से भी प्रभावित किसानों के रिण का पुनर्गठन करने और बीमा कंपनियों से उनके बीमा दावों का त्वरित निपटान करने को कहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने छोटा-मोटा कारोबार करने वाले उद्यमियों के लिये 20,000 करोड़ रुपए की शुरुआती पूंजी से मुद्रा वित्तीय एजेंसी का उद्घाटन करने के अवसर पर यह घोषणा की।

उन्होंने कहा कि पहले के नियम के अनुसार किसान तभी मदद का पात्र माना जाता रहा है जब उसकी 50 प्रतिशत फसल का नुकसान होता था लेकिन अब यदि किसान की 33 प्रतिशत फसल का भी नुकसान हुआ है तो उसे सरकारी मदद दी जायेगी। इससे ज्यादा किसानों को मदद मिल सकेगी। इसके साथ ही मुआवजे की राशि को भी बढ़ाकर डेढ़ गुणा कर दिया गया है।

मोदी ने कहा ‘‘हमने दूसरा महत्वपूर्ण फैसला मानकों को बढ़ाने का किया है ताकि किसानों की अधिक मदद की जा सके। मुआवजे की राशि बढ़ाकर डेढ़ (1.5) गुना कर दी गई है। यदि इससे पहले उन्हें 100 रुपए का मुआवजा मिल रहा था तो अब उन्हें 150 रुपए मिलेंगे, यदि उन्हें एक लाख रुपए मिल रहे थे तो उन्हें अब डेढ़ लाख रुपए मिलेंगे, 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इससे पहले ऐसी प्राकृतिक आपदाओं में किसानों की मदद के जो मानदंड रखे गये थे उनसे किसानों का ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता था। उन्होंने कहा ‘‘पिछले साल ऐसा कम बारिश की वजह से हुआ और इस साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसान को नुकसान हुआ।’’

मोदी ने कहा, ‘‘बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से फसलों को हुये नुकसान के आकलन के लिये हमने मंत्रियों को विभिन्न राज्यों में भेजा, हमने इसकी समीक्षा की है।’’ कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कल कहा था कि बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि के कारण देशभर में 113 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल को नुकसान हुआ है।

प्रभावित किसानों के लिये मुआवजा बढ़ाने के संबंध में मोदी ने कहा ‘‘इससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा लेकिन उनकी मदद करना जरूरी है क्योंकि वे तकलीफ में हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘हमें देश के किसानों की चिंता करनी है जो पर्याप्त वर्षा न होने या फिर बेमौसम बारिश की समस्या से जूझ रहे हैं।’’

अपना खुद का काम करने वाले छोटे उद्यमियों के लिए बनी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) के बारे में मोदी ने कहा कि इसका लक्ष्य है उनलोगों को कर्ज देना जिन्हें बैंकों तथा दूसरे संस्थानों से कर्ज नहीं मिल पाता है, जो लोग अपनी जरूरत के लिये साहुकार से कर्ज लेने को मजबूर हैं, उन्हें मुद्रा बैंक के जरिये मदद दी जायेगी। ऐसे छोटे उद्यमी स्वरोजगार करने के साथ साथ दूसरों को भी रोजगार देते हैं।

उन्होंने कहा कि बड़े ताम झाम वाले कारोबारी समूह जो मीडिया का बहुत ध्यान आकर्षित करते हैं, वे सिर्फ 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं जबकि छोटी मोटी दुकान, ब्यूटी पार्लर, मैकेनिक, दर्जी, कुम्हार तथा ऐसा ही छोटा मोटा धंधा करने वाले 5.75 करोड़ उद्यमी 12 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं।

मोदी ने कहा कि बड़े उद्योगों की वित्तीय सहायता के लिये कई साधन है लेकिन इन छोटे छोटे उद्यमों की मदद करने के लिये कोई साधन नहीं है। इन उद्यमों में कुल मिलाकर 11,00,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगी है जबकि इन्हें औसतन 17,000 रुपए का ही कर्ज मौजूदा संस्थानों से उपलब्ध हो पाता है। इनके लिये साधन बढ़ने चाहिये और औसतन एक लाख रुपए तक का कर्ज इन्हें मिलना चाहिये ताकि इनका विकास हो और देश प्रगति करे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि रोजगार सृजन और स्व-रोजगार को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा ‘‘छोटे उद्यमियों को रिण देने से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ेगी और आर्थिक वृद्धि तेज होगी।’’

उन्होंने कहा कि छोटा मोटा कारोबार करने वाले कर्जदार रिण का भुगतान समय पर करते हैं। ‘‘भारत में बचत करना पुरानी आदत है और इस परंपरागत मजबूती को आगे बढ़ाने तथा स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता है। इसी से मुद्रा बैंक की कल्पना आई है।’’

मुद्रा बैंक की पहल की सफलता को लेकर विश्वास व्यक्त करते हुए मोदी ने सभागार में बैठे बैंकरों की तरफ मुखातिब होते हुये कहा ‘‘मैं जो कह रहा हूं लिख लीजिए। एक साल बाद आप बैंक वाले मुद्रा बैंक के सामने लाइन लगाकर खड़े होंगे
और कहेंगे अपने 50 लाख ग्राहक दे दीजिए।’’

इस मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मुद्रा बैंक का लक्ष्य है वित्त पोषण की सुविधा से वंचित लोगों को वित्तपोषण सुविधा मुहैया कराना। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ का प्रतीक चिन्ह भी जारी
किया और उत्तर प्रदेश तथा अन्य क्षेत्रों से आये छोटे उद्यमियों को 50 हजार रुपए तक कर्ज के चेक भी प्रदान किये।

वित्त मंत्री ने अफसोस जताते हुये कहा कि देश की 20 प्रतिशत आबादी इन 5.7 करोड़ सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों पर निर्भर है लेकिन उन्हें अब तक संस्थागत रिण नहीं मिल पाता है। भूमि विधेयक का हवाला देते हुए जेटली ने कहा कि करीब 30 करोड़ भूमिहीन लोगों को ग्रामीण इलाकों में स्थापित किए जाने वाले औद्योगिक गलियारों में रोजगार मिलेगा।

उन्होंने कहा ‘‘हम जो भूमि सुधार विधेयक लाये हैं उसमें औद्योगिक गलियारे का प्रावधान है। जब भारत के कई स्थानों पर इन गलियारों की स्थापना की जाएगी तो वे 30 करोड़ भूमिहीन आबादी के लिए रोजगार के मौके पैदा करेंगे।’’

जेटली ने कहा कि मुद्रा की शुरुआत शुरू में सिडबी के माध्यम से की जा रही है और यह एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के तौर पर काम करेगी। मुद्रा बैंक सूक्ष्म वित्त संस्थानों को रिण देगा और फिर बाद में यह सूक्ष्म वित्त संस्थानों के नियामक के तौर पर काम करेगा।