जब भी म्यूचुअल फंड की बात आती है, तो अक्सर नए निवेशक सोचते हैं कि इस सेक्टर में उतरने के लिए उन्हें पहले से एक्सपर्ट की जरूरत है या सही फंड को चुनने के लिए किसी एक्सपर्ट की मदद की जरूरत है लेकिन दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में से एक वॉरेन बफेट अलग तरह से सोचते हैं।
बर्कशायर हैथवे के सीईओ बफेट का मानना है कि निवेश में असली सफलता तब मिलती है जब हम मार्केट के शोर को नजरअंदाज करके धैर्य से काम लेते हैं। भले ही उन्होंने खुद कभी सीधे म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं किया हो, लेकिन उनके विचार और निवेश सिद्धांत आज फंड निवेशकों के लिए प्रासंगिक हैं। आज हम आपको निवेशकों के लिए बफेट के 7 गोल्डन रूल बताने जा रहे हैं, आइए जानते हैं…
बफेट का मानना है कि कम लागत वाले इंडेक्स फंड सबसे स्मार्ट इक्विटी निवेश हैं
2016 में शेयरहोल्डर्स को लिखे एक पत्र में वॉरेन बफेट ने कहा, “जब वॉल स्ट्रीट के मैनेजर के पास खरबों डॉलर होते हैं जो भारी शुल्क लेते हैं, तो असली लाभ आम तौर पर मैनेजर को मिलता है, निवेशकों को नहीं।”
यही कारण है कि बफेट हमेशा कम लागत वाले इंडेक्स फंड के सपोटर रहे हैं, खास कर छोटे निवेशकों के लिए जो मार्केट का समय नहीं जान सकते या हर समय रिसर्च में डूबे नहीं रह सकते।
उन्होंने यहां तक कहा है कि उनकी मृत्यु के बाद, उनकी 90% संपत्ति को S&P 500 इंडेक्स फंड में निवेश किया जाना चाहिए और वह भी कम लागत वाले फंड में। यह उनके इस गहरे विश्वास को दर्शाता है कि इंडेक्स फंड कम लागत पर लंबी अवधि में स्थिर रिटर्न दे सकते हैं। लगातार दूसरे दिन सोने में तेजी
भारतीय निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?
भारत में अब कई कम लागत वाले निफ्टी 50 और सेंसेक्स इंडेक्स फंड उपलब्ध हैं। खासकर लार्ज-कैप फंड में, जहां सक्रिय फंड के लिए लगातार बेंचमार्क को मात देना मुश्किल होता है, इंडेक्स फंड एक समझदारी भरा विकल्प साबित हो सकता है।
बफेट का मानना है कि निवेश के लिए सबसे अच्छा समय ‘हमेशा’ है
वॉरेन बफेट कहते है, “केवल वही खरीदें जिसे आप अगले 10 वर्षों तक मार्केट बंद रहने पर भी रखने में खुश हों।”
लंबी अवधि के निवेश का पूरा दर्शन इस एक वाक्य में छिपा है। म्यूचुअल फंड निवेश कोई पैसा कमाने का शॉर्टकट नहीं है – यह एक लक्ष्य है, चाहे वह रिटायरमेंट के सपने हों, बच्चे की शिक्षा हो या पैसा जमा करना हो।
वह अच्छे फंड चुनने का सुझाव देते हैं – जिनका लंबा ट्रैक रिकॉर्ड हो और जो बुनियादी निवेश सिद्धांतों का पालन करते हों।
बफेट कहते हैं कि एक बार जब आप निवेश चुन लेते हैं, तो उस निवेश के साथ बने रहें – चाहे बाजार ऊपर जाए या नीचे।
बाजार में उतार-चढ़ाव होगा, लेकिन जो निवेशक स्थिर रहते हैं और समय को अपने पक्ष में काम करने देते हैं, वे ही असली पैसा अर्जित करते हैं, ऐसा बफेट का मानना है।
धैर्य, अनुशासन और लॉन्ग टर्म सोच म्यूचुअल फंड निवेश की कुंजी हैं। बफेट का दर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना दशकों पहले था। निवेशकों के लिए उनका संदेश है ‘एक अच्छे निवेश के लिए समय दें, और समय आपका सबसे अच्छा दोस्त होगा’। शेयर बाजार में आज फिर तेजी
अच्छा निवेशक बनने के लिए आपको जीनियस होने की जरूरत नहीं है
बफेट ने हमेशा निवेश को सरल शब्दों में समझाया है, जटिल शब्दों में नहीं। उनका मानना है कि निवेश में सफलता IQ से नहीं बल्कि अनुशासन और संयम से मिलती है।
हर वक्त मार्केट में नजर न रखें
बफेट का हमेशा से यही मानना रहा है, “मार्केट पर बहुत अधिक नजर रखना नुकसानदेह हो सकता है” कई इंटरव्यू और भाषणों में उन्होंने कहा है कि शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव पर हर दिन नजर रखने से निवेशक भावुक हो जाते हैं। गिरावट आने पर डर की वजह से जल्दी से बेचने और तेजी आने पर लालच में खरीदने की प्रवृत्ति नुकसानदेह हो सकती है।
जब लोग लालची हों तो डरो और जब लोग डरे हुए हों तो लालची बनो
बफेट आम तौर पर इसे शेयर बाजार के संदर्भ में कहते हैं, लेकिन यह मंत्र म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए भी बहुत सटीक है। जब बाजार गिरता है, तो अखबारों और न्यूज चैनलों पर ‘बड़ी मंदी’, ‘बाजार में अराजकता’ जैसे शब्द छा जाते हैं। निवेशक घबरा जाते हैं, SIP बंद कर देते हैं या फंड से पैसे निकालना शुरू कर देते हैं। लेकिन यही वह समय होता है जब समझदार निवेशक अवसर देखते हैं। बफेट के अनुसार, “डिस्काउंट पर क्वालिटी में निवेश करते समय डर आपका मित्र होता है।”
म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए क्या सबक है?
जब मार्केट गिरता है तो घबराएं नहीं। एसआईपी चालू रखें, क्योंकि आप कम कीमत में अधिक यूनिट खरीद रहे हैं। अगर आपके पास अतिरिक्त पैसे हैं, तो बाजार में गिरावट के दौरान एकमुश्त निवेश करने का यह सबसे अच्छा समय है। इतिहास बताता है कि मंदी के दौरान निवेश जारी रखने वाले निवेशकों को लंबी अवधि में सबसे अच्छा रिटर्न मिला है।
मार्केट में उतार-चढ़ाव के वक्त धैर्य और साहस आपके सबसे बड़े मित्र हैं। डर के माहौल में समझदारी से निवेश करना ही असली “बफेट स्टाइल” है।
असल रिस्क यह है कि आपको पता ही नहीं है कि आप क्या कर रहे हैं
ओमाहा के ऑरेकल का एक और गहरा लेकिन बहुत ही जमीनी सिद्धांत है, “रिस्क तब आता है जब आपको पता ही नहीं होता कि आप क्या कर रहे हैं।”
मार्केट में कई निवेशक किसी फंड में केवल उसके पिछले रिटर्न को देखकर निवेश करते हैं – उस फंड की रणनीति, उसमें कितना रिस्क है और समय सीमा कितनी होनी चाहिए, यह समझे बिना। यह वह गलती है जिसके बारे में बफेट हमेशा चेतावनी देते रहे हैं।
क्या है म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए इसका मतलब?
प्रत्येक फंड की कैटेगिरी को समझना जरूरी है
स्मॉल-कैप या सेक्टोरल फंड अधिर अस्थिर होते हैं – उन्हें लंबे समय तक रखने की जरूरत होती है
बफेट हमेशा कहते हैं, “निवेश का पहला नियम है कि पैसा न खोएं और दूसरा नियम है कि पहले नियम को न भूलें।”
इसलिए, किसी फंड में आँख मूंदकर कूदने के बजाय समझना, सोचना और फिर निवेश करना बेहतर है।
भविष्यवाणियां पूर्वानुमान लगाने वाले के बारे में बहुत कुछ बताती हैं, लेकिन भविष्य के बारे में कुछ नहीं
वॉरेन बफेट ने हमेशा मार्केट की भविष्यवाणियों का मजाक उड़ाया है। उनका कहना है कि जो लोग दावा करते हैं कि वे मार्केट की अगली चाल का अनुमान लगा सकते हैं, वे खुद को और दूसरों को धोखा दे रहे हैं।
उन्होंने कहा: “पूर्वानुमान आपको पूर्वानुमान लगाने वाले के बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं; वे आपको भविष्य के बारे में कुछ नहीं बताते।”
म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए इसका मतलब यह है – 6 महीने या 1 साल की रैंकिंग के आधार पर फंड बदलते रहना बुद्धिमानी नहीं है। अगर किसी फंड ने पिछले कुछ महीनों में बेहतर रिटर्न दिया है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह ऐसा करना जारी रखेगा।
[डिस्क्लेमर: ये आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से निवेश सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। Jansatta.com अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।]