आईआईएम अहमदाबाद की एक रिपोर्ट के अनुसार मुंबई और अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन अगर रोजाना 100 फेरे लगाए तो ही आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद होगी। रिपोर्ट के अनुसार 100 फेरे अगर नहीं हो पाते हैं तो प्रतिदिन अगर 88,000-118,000 मुसाफिर सफर करें तो यह व्यावहारिक होगी। ‘डेडिकेटेड हाई स्पीड रेलवे नेटवर्क इन इंडिया: इशूज इन डेवलपमेंट’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे को कर्ज और ब्याज समय पर चुकाने के लिए परिचालन शुरू होने के 15 वर्ष बाद तक 300 किलोमीटर की यात्रा के लिए टिकट का मूल्य 1500 रूपया निर्धारित करना होगा और प्रतिदिन 88,000-118,000 यात्रियों को ढोना होगा।
यह रिपोर्ट संस्थान के पब्लिक सिस्टम समूह के प्रोफेसर जी रघुराम और प्रशांत उदयकुमार ने संयुक्त रूप से तैयार की है। जापान ने परियोजना लागत के लगभग 80 प्रतिशत हिस्से के रूप में 97,636 करोड़ रूपये के रियायती कर्ज की पेशकश की है। जापान के प्रस्ताव के अनुसार कर्ज को 50 वर्ष के भीतर चुकाना होगा और परिचालन शुरू होने के 16वें वर्ष से 0.1 प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा। रिपोर्ट के लेखकों के अनुसार शेष 20 प्रतिशत कर्ज के लिए आठ प्रतिशत की औसत ब्याज दर होगी। उनके अनुसार जापान ने 15 वर्ष का कर्ज अवकाश दिया है इसलिए रेलवे के लिए राजस्व की चिंता 16वें वर्ष से शुरू होगी।
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रघुराम ने कहा, ‘अगर रेलवे 100 रूपये का राजस्व अर्जित करती है तो 20 या 40 रूपये रखरखाव में खर्च होंगे एवं इसके बाद बची हुई राशि का उपयोग कर्ज और ब्याज के नकद भुगतान के लिए किया जाएगा। ऐसे में परिचालन खर्च के साथ कर्ज का भुगतान दो सूरत-ए-हाल में संभव है। हम लोग इस पर विचार कर रहे हैं कि एक यात्री औसतन 300 किलोमीटर का सफर करेगा। दोनों स्थितियों में हम लोगों को 88,000-118,000 यात्रियों की जरूरत होगी।’
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उन्होंने कहा, ‘अमूमन एक ट्रेन 800 यात्रियों को ले जाती है, तो 88,000 यात्रियों को प्रतिदिन ढोने के लिए आपको कुल 100 फेरों की जरूरत होगी या एक तरफ से 50 फेरों की। इसलिए हम लोगों को प्रत्येक दिशा में एक घंटा में तीन रेलगाड़ियां चलानी होंगी।’ इस रिपोर्ट के अनुसार एचएसआर के कई सकारात्मक लाभ होंगे, जो भारत के समग्र विकास में मददगार साबित होगा। इसमें कहा गया है कि नेटवर्क के विकास के लिहाज से इसे जयपुर और दिल्ली तक बढ़ाया जा सकता है।
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