रूस यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में बड़े स्तर पर पेट्रोल डीजल की कमी देखने को मिल रही है। अब इसी का फायदा उठाकर मुकेश अंबानी की रिलायंस ने यूरोप में डीजल का निर्यात करना शरू कर दिया है। बिज़नेस न्यूज वेबसाइट इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जामनगर रिफाइनरी में निर्यात के लिए उत्पादन बढ़ाना शरू कर दिया है। कंपनी की तरफ से डीजल की कुछ शिपमेंट पहले ही यूरोप भेजी जा चुकी है।
जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के द्वारा संचालित जामनगर रिफाइनरी दुनिया की सबसे बड़ी कच्चे तेल की रिफाइनरी है। यह एक दिन में करीब 13,60,000 बैरल कच्चे तेल को शुद्ध कर सकती है। इस रिफाइनरी से निकलने वाले ज्यादातर तेल को विदेशों में निर्यात जाता है। कोरोना महामारी के बाद से जामनगर रिफाइनरी में 7,04,000 उत्पादन क्षमता वाली निर्यात आधारित यूनिट को उपयोग में नहीं लाया जा रहा था लेकिन यूरोप से मांग बढ़ने के बाद पूरी क्षमता से उत्पादन किया जा रहा है।
रिफाइनरी बंद करने का लिया था फैसला: रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी में कच्चे तेल के उत्पादन के लिए दो यूनिट है। इनमें से निर्यात आधारित यूनिट को रिलायंस ने मांग न होने के चलते इस महीने तीन हफ्ते के बंद करने का फैसला किया था लेकिन अब पूरी क्षमता के साथ उत्पादन शुरू कर दिया गया है। पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जनवरी में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने निर्यात आधारित यूनिट की 74.7 फीसदी क्षमता का ही उपयोग किया था।
यह कंपनियां भी निर्यात में शामिल: रिलायंस के अलावा दक्षिण पश्चिम एशिया की अन्य रिफाइनरियां भी यूरोप को तेल निर्यात कर रही है। नायरा एनर्जी लिमिटेड जो जामनगर में रिलायंस के मुकाबले कहीं अधिक छोटी रिफाइनरी का संचालन करती है वह भी इस दौड़ में शामिल है। बता दें नायरा एनर्जी लिमिटेड में रुसी कंपनी रोनेफ्ट ऑयल कंपनी पीजेएसके की 49 फीसदी हिस्सेदारी है।
रूस यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में कच्चे तेल की कीमत में 60 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। 14 साल के बाद यह पहला मौका है जब दुनिया में कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गए हैं।