रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिडेट यानी आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी आज देश के सबसे सफल बिजनेसमैन हैं। मुकेश अंबानी जो भी कारोबार शुरू करते हैं वो सरपट दौड़ने लगता है। आज हम आपको मुकेश अंबानी की एक ऐसी कंपनी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे उन्होंने 11 साल पहले 4,800 करोड़ रुपए में खरीदा था। लेकिन आज इस कंपनी की वैल्यू 100 गुना से ज्यादा बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गई है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की डिजिटल सब्सिडियरी जियो प्लेटफॉर्म्स को आप अच्छी तरह से जानते हैं। जियो प्लेटफॉर्म्स के तहत ही टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो कारोबार करती है। जियो प्लेटफॉर्म्स बनने की कहानी काफी रोचक है। इसमें रिलायंस जियो का बड़ी योगदान है। इस समय रिलायंस जियो देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। आज हम आपको रिलायंस जियो और फिर जियो प्लेटफॉर्म्स के बनने की रोचक कहानी बताने जा रहे हैं।
रिलायंस ने 2010 में खरीदी अहमदाबाद की कंपनी: मुकेश अंबानी को काफी दूरदर्शी माना जाता है। 2010 में उन्होंने 4800 करोड़ रुपए में इंफोटेल ब्रॉडबैंड सर्विसेज लिमिटेड नाम की कंपनी में 95% हिस्सेदारी खरीदी। इसी साल 4जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई। इसमें इंफोटेल ब्रॉडबैंड को देश के सभी 22 टेलीकॉम सर्किल के लिए ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम मिला। रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम सब्सिडियरी इंफोटेल ब्रॉडबैंड का 2013 में नाम बदलकर रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड रखा गया।
2015 में लॉन्चिंग की घोषणा: जून 2015 में रिलायंस जियो ने वर्ष के अंत तक पूरे देश में अपनी सेवाएं लॉन्च करने की घोषणा की। लेकिन चार महीने बाद ही कंपनी ने इन सेवाओं की लॉन्चिंग को वित्त वर्ष 2016-17 तक के लिए टाल दिया। रिलायंस जियो ने 27 दिसंबर 2015 को कंपनी के कर्मचारियों के लिए 4 सेवा लॉन्च की। 5 सितंबर 2016 को कंपनी ने पूरे देश में कमर्शियल सेवा लॉन्च की। लॉन्चिंग से समय जियो ने सभी ग्राहकों को 31 दिसंबर 2016 तक सभी सेवाएं फ्री उपलब्ध कराईं। बाद में फ्री सेवाओं को मार्च 2017 तक के लिए बढ़ा दिया गया। जियो की मुफ्त 4जी सेवा लोगों को काफी पसंद आई और इसने लॉन्चिंग के बाद सिर्फ 83 दिन में 5 करोड़ ग्राहक जोड़े। 31 मार्च 2021 तक रिलायंस जियो के पास 42 करोड़ से ज्यादा ग्राहक थे।
21.97% हिस्सेदारी बेचकर 1.52 लाख करोड़ रुपए जुटाए: रिलायंस जियो की सफलता को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2019 में जियो प्लेटफॉर्म्स के नाम से नई डिजिटल सब्सिडियरी बनाई। रिलायंस जियो और अन्य सभी डिजिटल कारोबार को जियो प्लेटफॉर्म्स को ट्रांसफर कर दिया गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज के कुल रेवेन्यू में जियो प्लेटफॉर्म्स की बड़ी हिस्सेदारी है। मई 2020 में मार्केट कैप के लिहाज से जियो प्लेटफॉर्म्स को देश की चौथी सबसे बड़ी कंपनी बताया गया था। पिछले साल मुकेश अंबानी ने जियो प्लेटफॉर्म्स की 32.97% हिस्सेदारी बेचकर 1.52 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। यह हिस्सेदारी 5.15 लाख करोड़ रुपए की वैल्यूएशन पर बेची गई थी।
अब जियो प्लेटफॉर्म्स में मुकेश अंबानी की 67.03% हिस्सेदारी: अब जियो प्लेटफॉर्म्स में मुकेश अंबानी की कुल 67.03% हिस्सेदारी है। जियो प्लेटफॉर्म्स की बाकी हिस्सेदारी स्ट्रैटजिक पार्टनर्स, प्राइवेट इक्विटी फर्म और सॉवरेन वेल्थ फंड के पास है। स्ट्रैटजिक पार्टनर्स में फेसबुक की कंपनी जड्डू होल्डिंग्स, गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक और इंटेल कॉरपोरेशन शामिल हैं। मुकेश अंबानी के बाद फेसबुक और गूगल ही जियो प्लेटफॉर्म्स के साझेदारी हैं। इसके अलावा केकेआर, विस्टा इक्विटी पार्टनर्स, पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड ऑफ इंडिया, सिल्वर लेक, सऊदी अरब की मुबाडला इन्वेस्टमेंट कंपनी, जनरल अटलांटिक, टीपीजी कैपिटल, एल कैटरटन और क्वालकॉम इंक भी जियो प्लेटफॉर्म के हिस्सेदार हैं।
