एनर्जी सेक्टर में बदलाव के लिए एक नया प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है। इसका नाम इंडिया एच2 एलायंस (आईएच2ए) होगा। इस मंच पर कई वैश्विक एनर्जी और औद्योगिक कंपनियां एक साथ आई हैं। इसकी अगुवाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज कर रही है।

क्या है मकसद: इंडिया एच2 एलायंस (आईएच2ए) प्लेटफॉर्म की तरफ से जारी बयान के मुताबिक यह संगठन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण की दिशा में काम करेगा। इसके साथ ही हाइड्रोजन के दोनों रूपों (नीला और हरित) के उत्पादन और भंडारण में मदद करेगा। वहीं, हाइड्रोजन युक्त ईंधन बैटरी के जरिये परिवहन व्यवस्था के विकास में भी मददगार साबित होगा। यह संगठन रिफाइनरीज, उर्वरक, सीमेंट, बंदरगाह और लॉजिस्टिक जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देगा। हालांकि, बयान में प्लेटफॉर्म के अन्य संस्थापक सदस्यों के नाम नहीं बताए गए हैं। (ये पढ़ें—टाटा की वजह से मुकेश अंबानी की बढ़ेगी टेंशन)

बजट में हाइड्रोजन एनर्जी पर फोकस: इसका गठन ऐसे समय में हुआ है जब केंद्र सरकार हाइड्रोजन एनर्जी पर फोकस कर रही है। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में ‘हाइड्रोजन एनर्जी मिशन’ के बारे में जानकारी दी थी।

सरकार ने इस मद में ढाई हजार करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया है। सरकार का मानना है कि हाइड्रोजन एनर्जी स्वच्छ और हरित ऊर्जा के तौर पर पॉलूशन कम करने में बहुत कारगर होगी।

क्या है हाइड्रोजन एनर्जी: ये एक बहुत ही किफायती ईंधन होता है लेकिन इससे भी खास बात यह है कि यह पूरी तरह से स्वच्छ और प्रदूषण रहित होता है। इसका उपयोग अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण के लिए रॉकेट ईंधन के रूप में होता है। हालांकि इसका उत्पादन, भंडारण खर्चीला और थोड़ा मुश्किल है। पेट्रो पदार्थों की तुलना में हाइड्रोजन की प्रोडक्शन कास्ट भी अभी काफी ज्यादा है। (ये पढ़ें—रिलायंस की राह पर चली ये सरकारी कंपनी)

बता दें कि उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड तेल-रसायन (ओ2सी) कारोबार को अलग कर रही है। हाल ही में इसे अलग इकाई बनाने के लिए शेयरधारकों और कर्जदाताओं से मंजूरी मिल गई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फरवरी में तेल रिफाइनिंग, ईंधन और पेट्रोरसायन (ओ2सी) कारोबार को मूल इकाई से 25 अरब डॉलर के कर्ज के साथ स्वतंत्र इकाई बनाने की घोषणा की थी।