कोरोना काल में भले ही तमाम कंपनियों को अपने कारोबार में झटके का सामना करना पड़ा है, लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बीते 6 महीनों में बड़ी ऊंचाई हासिल की है। रिलायंस जियो में 1.52 लाख करोड़ रुपये के बड़े निवेश के बाद मुकेश अंबानी की नजर अब रिलायंस रिटेल के जरिए पूंजी जुटाने पर है। जानकारों के मुताबिक रिलायंस के रिटेल कारोबार को संभालने वाली कंपनी रिलायंस रिटेल में 15 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी है। 15 पर्सेंट हिस्सेदारी के एवज में रिलायंस इंडस्ट्रीज को 60 से 63 हजार करोड़ रुपये तक की रकम मिल सकती है। रिलायंस की योजना प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स और सॉवरिन वेल्थ फंड्स के जरिए निवश हासिल करने की है।

इसकी शुरुआत सिल्वर लेक की ओर से 7,500 करोड़ रुपये के निवेश से हो गई है। सिल्वर लेक ने 1.75 प्रतिशत हिस्सेदारी के बदले में यह निवेश किया है। कंपनी की कुल वैल्यूएशन 4.21 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि कंपनी की ओर से नए शेयर जारी किए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया अक्टूबर के अंत तक पूरी हो सकती है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वॉलमार्ट की ओर से भी निवेश किया जा सकता है, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई बातचीत नहीं हुई है।

वहीं प्राइवेट इक्विटी फंड की बात करें तो सिल्वर लेक ने निवेश की शुरुआत की है और अब सऊदी अरब के पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड, केकेआर समेत कई और संस्थाओं की ओर से निवेश किया जा सकता है। इस तरह देखा जाए तो बीते करीब 6 महीनों में ही मुकेश अंबानी 2.10 लाख करोड़ रुपये का निवेश जुटाने के करीब हैं। रिलायंस जियो में निवेश करने वाली ज्यादातर कंपनियां रिलायंस रिटेल में भी हिस्सेदारी खरीद सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक फेसबुक का नाम भी चर्चा में है। हालांकि रिलायंस की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की जा सकी है।

रिलायंस रिटेल को लेकर यह है मुकेश अंबानी की रणनीति: दरअसल रिलायंस रिटेल को लेकर मुकेश अंबानी ने त्रिस्तरीय रणनीति अपनाई है। पहले लेवल पर है, उन सभी कंपनियों से निवेश जुटाने की तैयारी में हैं, जिन्होंने जियो में इन्वेस्ट किया था। सूत्रों के मुताबिक गूगल और फेसबुक ने निवेश पर विचार करने की बात कही है। वहीं इंटेल कैपिटेल और क्वालकॉम जैसी कंपनियों ने निवेश से इनकार किया है। दूसरे लेवल पर मुकेश अंबानी रिलायंस रिटेल के नेटवर्क को बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। इसके तहत वह देश भर में करोड़ों किराना दुकाने नेटवर्क तैयार करना चाहते हैं। तीसरी रणनीति के तहत वह रिटेल कंपनियों के अधिग्रहण की कोशिश में हैं। इसी के तहत उन्होंने फ्यूचर ग्रुप के रिटेल बिजनेस का अधिग्रहण किया है।