भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर तरह-तरह की बातें कही गई हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो कुछ दिन पहले ही देश की अर्थव्यवस्था को ‘Dead Economy तक बता दिया था, लेकिन उन दावों के बीच कुछ ऐसे आंकड़े भी सामने आए हैं जो बताने के लिए काफी हैं कि भारत की इकोनॉमी कोई डेड इकोनॉमी नहीं है बल्कि वो तो सिर्फ दिवाली पर इतना खर्च कर रही है कि नेपाल की जेडीपी से लेकर पाकिस्तान का रक्षा बजट तक पीछे छूट जाएगा। ये आंकड़े कोई हमारे नहीं हैं बल्कि CAIT (Confederation of All India Traders) ने जारी किए हैं।
CAIT की रिपोर्ट दिवाली खर्च पर क्या बताती है?
पिछले चार सालों से लगातार दिवाली पर बिक्री में बढ़ोतरी देखने को मिली है। 2021 में जहां दिवाली के समय 1.25 लाख करोड़ की बिक्री हुई थी, 2025 के लिए अनुमान लगाया गया है कि आंकड़ा 4.75 लाख करोड़ तक जा सकता है। यहां भी कहा जा रहा है कि अकेले राजधानी दिल्ली की तरफ से 75000 करोड़ का योगदान आ सकता है। ये आंकड़े अप्रत्याशित हैं, बताने के लिए काफी हैं कि मार्केट में बेचने वाले और खरीदने वालों के बीच में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है।
साल | खरीदारी (₹ में) |
2021 | ₹1.25 लाख करोड़ |
2022 | ₹2.50 लाख करोड़ |
2023 | ₹3.75 लाख करोड़ |
2024 | ₹4.25 लाख करोड़ |
2025 | ₹4.75 लाख करोड़ |
पाकिस्तान के रक्षा बजट पर भारत की दिवाली भारी
अब ऊपर दी गई टेबल से पता चलता है कि भारत ने दिवाली के समय लगातार काफी खरीदारी की है। इन आंकड़ों को देखने का एक दूसरा नजरिया भी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान जितना रक्षा बजट पिछले पांच सालों का रहा है, उससे ज्यादा तो हम सिर्फ इस दिवाली पर खर्च कर रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार, वहां की कुछ रिपोर्ट्स को खंगालने के बाद ऐसे आंकड़े सामने आए हैं जो बताते हैं कि भारत का पड़ोसी मुल्क हर मामले में कितना पिछड़ता जा रहा है।
साल | रक्षा बजट (PKR में) | भारतीय रुपये में |
2021-22 | PKR 1.28 ट्रिलियन | ₹0.40 लाख करोड़ |
2022-23 | PKR 1.59 ट्रिलियन | ₹0.49 लाख करोड़ |
2023-24 | PKR 1.80 ट्रिलियन | ₹0.56 लाख करोड़ |
2024-25 | PKR 2.12 ट्रिलियन | ₹0.66 लाख करोड़ |
2025-26 | PKR 2.55 ट्रिलियन | ₹0.79 लाख करोड़ |
अब अगर ऊपर दी गई टेबल के आंकड़ों को जोड़ा जाए तो पाकिस्तान का पिछले पांच साल का रक्षा बजट का आंकड़ा बैठता है- 2.90 लाख करोड़ के करीब। इस आंकड़े के सामने सिर्फ अगर भारत के दिवाली खर्चे को देखा जाए तो वो 4.75 लाख करोड़ तक जाने वाला है। वैसे अगर CAIT के आंकड़े को ही आधार माना जाए तो भारत इस दिवाली नेपाल की कुल जीडीपी से भी ज्यादा खर्च करने जा रहा है।
नेपाल की जीडीपी भी भारत की दिवाली के सामने फीकी
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि 2024 में नेपाल की जीडीपी 42.91 बिलियन डॉलर थी। इसे अगर भारतीय रुपयों में कनवर्ट किया जाए तो आंकड़ा होगा 3.56 लाख करोड़। इसका मतलब साफ है कि नेपाल की जितनी जीडीपी इस समय है, उससे कही अधिक भारत के लोग दिवाली पर खरीदारी कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में बोलें तो नेपाल की जीडीपी और भारत के दिवाली खर्च में 1.19 लाख करोड़ रुपये का अंतर है।
दिवाली पर किस चीज की कितनी खरीदारी?
CAIT ने अपने आंकड़ों में ये तो स्पष्ट किया है कि इस बार दिवाली पर खरीदारी 4.75 लाख करोड़ तक जाने वाली है, कुछ जगह अनुमान 5 लाख करोड़ तक जा रहा है। अब अगर इसी CAIT रिपोर्ट को और बेहतर तरीके से डीकोड किया जाए तो कई दूसरे आंकड़े सामने आते हैं, पता चलता है कि किस चीज पर कितना खर्च दिवाली पर किया जा सकता है। एनडीटीवी, इकोनॉमिक टाइम्स, द ट्रिब्यून ने CAIT की विस्तृत रिपोर्ट पेश की है। उससे काफी कुछ पता चल रहा है। नीचे दी गई टेबल को ध्यान से देखें-
कैटेगरी | कितना हिस्सा | राशि (₹ करोड़ में) |
खाद्य / किराना | 13% | ₹61,750 करोड़ |
कपड़े / वस्त्र | 12% | ₹57,000 करोड़ |
इलेक्ट्रॉनिक्स | 8% | ₹38,000 करोड़ |
गिफ्ट आइटम्स | 8% | ₹38,000 करोड़ |
कॉस्मेटिक्स / पर्सनल केयर | 6% | ₹28,500 करोड़ |
फर्निशिंग / फर्नीचर | 4% | ₹19,000 करोड़ |
फल / सूखे मेवे | 3% | ₹14,250 करोड़ |
मिठाई / नमकीन | 4% | ₹19,000 करोड़ |
बिजली / इलेक्ट्रिकल आइटम्स | 4% | ₹19,000 करोड़ |
होम डेकोर | 3% | ₹14,250 करोड़ |
बर्तन / किचनवियर | 3% | ₹14,250 करोड़ |
पूजा सामग्री | 3% | ₹14,250 करोड़ |
कन्फेक्शनरी / बेकरी | 2% | ₹9,500 करोड़ |
अन्य | 24% | ₹1,14,000 करोड़ |
इस धनतेरस 50 हजार करोड़ का सोना बिका
अब दिवाली को लेकर तो अप्रत्याशित खरीदारी देखने को मिल ही रही है, महंगे होते सोने के बीच धनतेरस पर भी गोल्ड की डिमांड भी जबरदस्त देखने को मिल रही है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन का एक अनुमान सामने आया है। उस अनुमान से पता चला है कि इस साल 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक के सोने चांदी का व्यापार हो सकता है।
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में भी देखी गई ग्रोथ
एक तरफ सोने-चांदी की डिमांड है तो वहीं ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री भी इस साल त्योहारी मौसम में बेहतरीन बढ़ोतरी देख रही है। FADA का डेटा बताता है कि नवरात्रि के समय अकेले ऑटो बिक्री में 35 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया गया है। इसी कड़ी में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक दूसरी रिपोर्ट बताती है कि अगस्त-सितंबर में फैक्टरी से डीलरशिपों को भेजी गई गाड़ियों की संख्या 3,72,458 यूनिट्स रहीं, यह पिछले साल की तुलना में चार फीसदी अधिक था।
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