केंद्र सरकार जल्दी ही Long Term Capital Gains (LTCG) टैक्स वापस ले सकती है। LTCG टैक्स वापस लेने से कई बड़ी कंपनियों को बड़ी राहत मिल सकती है। ‘The Indian Express’ से बातचीत करते हुए दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि LTCG टैक्स को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय की गंभीर मंत्रणा हुई है। ऐसी संभावना है कि वित्त मंत्रालय की तरफ से इस बात का ऐलान इस साल फरवरी के महीने में पेश होने वाले बजट में किया जा सकता है।
इससे पहले राष्ट्र निर्माण में निष्पक्ष योगदान देने के मकसद से LTCG टैक्स बड़ी कंपनियों के शेयर्स पर लगाए गए थे। उस वक्त यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीधे दखल के बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से लिया गया था। लेकिन सरकार और बड़ी कंपनियों ने अब यह पाया है कि LTCG से रेवेन्यू जुटा पाना मुश्किल हो रहा है। जिसके बाद सरकार ने इक्विटी में लंबे समय तक फ्लो बनाए रखने को बढ़ावा देने के लिए इस टैक्स को खत्म करने का मन बनाया है।
1 फरवरी, 2018 को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 10 प्रतिशत टैक्स का ऐलान किया था। लेकिन अब मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने शेयर बाजार में निवेश को बढ़ावा देने के लिए दिवंगत केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के फैसले को पलटने की योजना बनाई है।
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि अगर सरकार ने इस टैक्स को पूरी तरह से खत्म नहीं भी किया तो इसे 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया जाएगा। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स की वजह से भारतीय शेयर बाजार के आधारभूत विकास पर असर पड़ रहा है। टैक्स की वजह से शेयर को लंबे समय तक रखने पर मिलने वाले इनसेन्टिव पर भी असर पड़ा है।
आंकड़ें बताते हैं कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करीब 2,280 कंपनियों में से सिर्फ 320 कंपनियों ने ही सकारात्मक रिटर्न दिया है जबकि 1,960 स्टॉक्स में निवेश करने वाले इनवेस्टर्स को नकारात्मक रिटर्न मिला है। पिछले 2 साल से मार्केट में यहीं स्थिति बनी हुई है और इसी आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि LTCG tax से सरकार ज्यादा रेवेन्यू नहीं जुटा पा रही है।
क्या है LTCG?
शेयरों और शेयर आधारित म्यूचुअल फंड्स को एक साल से ज्यादा रखने पर जो फायदा होगा है उस पर LTCG यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स चुकाना पड़ता है। कैपिटल गेन्स 2 तरह के होते हैं। पहला लॉन्ग टर्म और दूसरा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स। अगर 1 साल बाद शेयर बेचा जाए तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स चुकाना होगा। 1 साल से कम समय में शेयर बेचने पर पहले से ही शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स लगता है।