रेयर अर्थ मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने 7,280 करोड़ रुपये के खर्च से एक स्कीम को मंज़ूरी दे दी है। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात की जानकारी दी है।
एक आधिकारिक सरकारी रिलीज में कहा गया है, “अपनी तरह की इस पहली पहल का मकसद भारत में 6,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MTPA) की इंटीग्रेटेड रेयर अर्थ PM इंडिया परमानेंट मैग्नेट (REPM) मैन्युफैक्चरिंग स्थापित करना है, जिससे आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और भारत ग्लोबल REPM मार्केट में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में अपनी जगह बना सकेगा।”
स्ट्रेटेजिक आत्मनिर्भरता का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने ‘सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की स्कीम’ को मंजूरी दे दी है। इस स्कीम का उद्देश्य भारत में 6,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MTPA) की प्रोडक्शन कैपेसिटी बनाना है।
इस फैसले की घोषणा करते हुए, सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस स्कीम से रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, जो इलेक्ट्रिक गाड़ियों, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल टेक्नोलॉजी और डिफेंस जैसे सेक्टर में जरूरी कंपोनेंट हैं।
7 वर्ष तक चलेगी ये स्कीम
सरकार की योजना है कि प्रस्तावित कैपेसिटी को ग्लोबल कॉम्पिटिटिव बिडिंग प्रोसेस के जरिए अधिकतम पांच बेनिफिशियरी को दिया जाए, जिसमें से हर एक ज्यादा से ज्यादा 1,200 MTPA के लिए एलिजिबल होगा। यह स्कीम सात साल तक चलेगी, जिसमें पूरी तरह से इंटीग्रेटेड REPM मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी बनाने के लिए दो साल का जेस्टेशन पीरियड और असल बिक्री से जुड़े पाँच साल के इंसेंटिव शामिल हैं।
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, स्कीम का कुल फाइनेंशियल खर्च 7,280 करोड़ रुपये है, जिसमें पांच साल के लिए REPM बिक्री पर 6,450 करोड़ रुपये का सेल्स-लिंक्ड इंसेंटिव और 6,000 MTPA REPM मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी सेट अप करने के लिए 750 करोड़ रुपये की कैपिटल सब्सिडी शामिल है।
हर बेनिफिशियरी को 1,200 MTPA तक की कैपेसिटी दी जाएगी। इलेक्ट्रिक गाड़ियों, रिन्यूएबल एनर्जी, इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स की तेज़ी से बढ़ती डिमांड की वजह से, भारत में REPMs का कंजम्पशन 2025 से 2030 तक दोगुना होने की उम्मीद है।
