भारत सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (FEMA) में बदलाव करके एलआईसी में 20 फीसदी तक विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है। सरकार देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी में आईपीओ के जरिए हिस्सा बिक्री करने जा रही है जिसके लिए सरकार की ओर से बाजार नियामंक सेबी (SEBI) के पास फरवरी में ड्राफ्ट जमा करा दिया गया था, जिसे पिछले महीने मंजूरी दे दी गई थी लेकिन मार्च तिमाही के नतीजों के बाद एलआईली ने कुछ बदलाव के साथ सेबी के पास दोबारा ड्राफ्ट पेपर जमा करा दिए है।  

मार्च में कैबिनेट की मंजूरी के बाद, भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) ने 14 मार्च को देश की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में बदलाव किया था।

सरकार की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक डीपीआईआईटी की ओर से एफडीआई में किये गए बदलाव को लागू करने के लिए फेमा नोटिफिकेशन की आवश्यकता होती है। वहीं, इस नोटिफिकेशन के बाद एलआईसी में ऑटोमेटिक रूट से एफडीआई के निवेश का रास्ता साफ हो गया है।

पहले था ये नियम: नियमों में बदलाव से पहले पब्लिक सेक्टर बैंक और एलआईसी जैसी कंपनियों में सरकार की अनुमति के बाद ही 20 फीसदी तक ही एफफीआई का निवेश हो सकता है लेकिन फैसले के लागू होने के बाद अब ऑटोमेटिक रूट से 20 फीसदी तक के विदेशी निवेश का रास्ता साफ हो गया है।

देश का सबसे बड़ा आईपीओ: एलआईसी का आईपीओ देश का सबसे बड़ा होने वाला है। वहीं, बाजार के जानकारों का कहना है कि सरकार एलआईसी के 5 फीसदी हिस्सा बिक्री के जरिए करीब 63 हजार करोड़ रुपए शेयर बाजार से जुटा सकती है। ड्राफ्ट पेपर के मुताबिक एलआईसी एंबेडेड वैल्यू  5.4 लाख करोड़ रुपए रखी गई है।

आईपीओ के बाद रिलायंस और टीसीएस को टक्कर देगी एलआईसी:  इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के मुताबिक एंबेडेड वैल्यू को मार्किट वैल्यू में प्रवर्तित किया जाए तो एलआईसी का बाजार मूल्य करीब 16 लाख करोड़ रुपए का होता है जो इसे रिलायंस और टीसीएस के बाद देश की सबसे मूल्यवान कंपनी बनाता है।