दुनिया भर में कोरोना के संकट के चलते 1.6 अरब लोग यानी दुनिया की करीब आधी वर्कफोर्स बेरोजगार हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक कोरोना के संकट के चलते यह स्थिति पैदा होने वाली है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के डायरेक्टर जनरल गाय राइडर ने कहा कि तीन सप्ताह पहले हमने जो सोचा था, यह संकट उससे भी कहीं ज्यादा बड़ा है। एजेंसी ने कहा कि पहले ही दुनिया भर में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करीब 2 अरब श्रमिकों की कमाई 60 फीसदी तक कम हो गई है।

दुनिया की कुल 3.3 अरब की वर्कफोर्स में से सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र के श्रमिक ही प्रभावित हैं। राइडर ने कहा, ‘करोड़ों मजदूरों के सामने रोजगार के अभाव में खाने तक किल्लत है। कोई सुरक्षा और कोई भविष्य नजर नहीं आता। दुनिया भर में करोड़ों कारोबार अंतिम सांसें गिन रहे हैं।’ अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा कि इन कारोबारों के पास न तो कोई बचत है और न ही कर्ज लेने का कोई जरिया है। दुनिया में कामकाज और श्रमिकों की यही सच्चाई है। यदि हमने अभी उनकी मदद नहीं की तो वे बर्बाद हो जाएंगे।

संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने कहा कि लॉकडाउन लंबा खिंचने के चलते ऑफिसों के बंद होने और प्लांट्स में काम ठप होने के चलते यह संकट लगातार गहरा रहा है। वर्किंग आवर्स में लगातार कमी देखनो को मिल रही है। इस संकट में सबसे ज्यादा जिन सेक्टर्स को नुकसान हुआ है, वे हैं मैन्युफैक्चरिंग, फूड सर्विसेज, होटल इंडस्ट्री, होलसेल, रिटेल और रियल एस्टेट।

इन सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा असर: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा कि इस साल की दूसरी तिमाही में वर्किंग आवर्स में 10.5 फीसदी तक की कमी देखने को मिल सकती है। सबसे ज्यादा गिरावट की स्थिति अमेरिका, यूरोप और सेंट्रल एशिया में देखने को मिल सकती है। इससे पहले इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइदेशन ने अपने अनुमान में दुनिया भर में 19.5 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की आशंका जताई थी। अब अमेरिका समेत तमाम देशों में लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के चलते नए अनुमानों में यह आंकड़ा बढ़ गया है।

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