फेसबुक के संस्थापक और प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने मार्क एंड्रीसन की टिप्पणी से यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया कि उनकी टिप्पणी बेहद परेशान करने वाली है और वह कंपनी की धारणा का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।

 जुकरबर्ग ने बुधवार को जारी फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘मैं भारत के बारे में मार्क एंड्रीसन की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देना चाहता हूं। मुझे ये टिप्पणियां बेहद परेशान करने वाली लगीं और वे फेसबुक या मेरे विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।’ उनकी टिप्पणी एंड्रीसन के आपत्तिजनक ट्वीट के बाद आई जो उन्होंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार के फेसबुक के मुफ्त लेकिन प्रतिबंधित इंटरनेट कार्यक्रम संबंधी आदेश के बाद जारी किए थे।

फेसबुक के निदेशक मंडल के सदस्य, एंड्रीसन ने ट्विटर पर एटपीमार्का नाम से अपने संदेश में कहा, ‘उपनिवेशवाद विरोधी सोच दशकों से भारतीय जनता के लिए आर्थिक तौर पर विनाशकारी रही है। तो अब क्यों रोका जाए?’ भारतीयों की कड़ी आलोचना के बाद उन्होंने कल अपने ट्वीट हटा लिए और कई अन्य संदेशों के जरिए माफी मांगी।

उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘पिछली रात ट्विटर पर मैंने गलत सूचना और गलत परामर्श पर भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के बारे में टिप्पणी की। साफ कर दूं कि मैं उपनिवेशवाद के 100 प्रतिशत खिलाफ हूं और भारत समेत किसी भी देश में स्वतंत्रता और स्वाधीनता के पक्ष में हूं।’

एंड्रीसन ने कहा, ‘मैं भारत और भारतीय जनता का बड़ा प्रशंसक हूं जो मेरे प्रति पिछले कई वर्षों से उदार रहे हैं। मेरी टिप्पणी से यदि किसी को भी कोई तकलीफ हुई हो तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं और इसे पूरी तरह बिना किसी आपत्ति के वापस लेता हूं। इस संबंध में किसी भी तरह की भावी टिप्पणी का जिम्मा उन लोगों पर छोड़ता हूं जिन्हें इस संबंध में ज्यादा ज्ञान और अनुभव है।’ विवाद खत्म न होते देख जुकरबर्ग ने अपनी कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्य की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया।

जुकरबर्ग ने कहा, ‘भारत व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए और फेसबुक के लिए महत्वपूर्ण रहा है। जब मैं अपने लक्ष्य पर विचार कर रहा था तो मैं भारत यात्रा पर गया और वहां लोगों की मानवीयता, जज्बे और मूल्यों से प्रेरित हुआ। मैंने अपनी समझ पुख्ता की कि जब सब लोग अपने अनुभव साझा करेंगे तो पूरी दुनिया प्रगति करेगी।’ उन्होंने कहा कि फेसबुक लोगों को जुड़ने में मदद करने और अपनी आवाज बुलंद करने में मदद करने के लिए है ताकि वे अपने भविष्य का निर्माण कर सकें।

उन्होंने कहा, ‘लेकिन भविष्य की समझ के लिए हमारे लिए अतीत की समझ जरूरी है। भारत में हमारा समुदाय बढ़ा है और यह महसूस किया गया है कि भारत के इतिहास तथा संस्कृति की और समझ की जरूरत है।’ जुकरबर्ग ने कहा, ‘हमें इससे प्रेरणा मिलती है कि भारत ने एक मजबूत देश और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर खुद को विकसित किया है और मुझे इस देश के साथ संबंध मजबूत करने की उम्मीद है।’