Loan against insurance policy: क्या आपने एलआईसी पॉलिसी ले रखी है? यदि हां तो आपको इंश्योरेंस कवर के साथ यह पॉलिसी जरूरत के वक्त में लोन भी दे सकती है। यही नहीं बैंक से पर्सनल लोन के मुकाबले एलआईसी पॉलिसी पर लिए गए लोन की दर भी काफी कम है। एलआईसी की ही ‘जीवन शिखर’ पॉलिसी पर यदि आप लोन लेते हैं तो महज 9 फीसदी सालाना की दर से ही ब्याज देना होगा। इसके अलावा अन्य सभी बीमा पॉलिसीज पर 9.5 फीसदी का ब्याज तय किया गया है। हालांकि ऐसे ग्राहक जिन्होंने सिंगल प्रीमियम पॉलिसी ले रखी हैं, जैसे जीवन वृद्धि, जीवन वैभव, जीवन सुगम और जीवन शगुन प्लान तो फिर उन्हें सालाना 10 फीसदी की दर से लोन पर ब्याज चुकाना होगा।
एलआईसी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने देश में 1.14 लाख करोड़ रुपये के लोन दिए हैं। इनमें से 99.98 फीसदी लोन परंपरागत पॉलिसीज पर दिए गए हैं। इस लोन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके लिए एलआईसी की ओर से क्रेडिट हिस्ट्री की पड़ताल नहीं की जाती। दरअसल यह एक तरह की एडवांस रकम होती है, जो पॉलिसी के अगेंस्ट दी जाती है और अंत में लोन की राशि को घटाकर पूरी बीमा राशि ग्राहक को मिल जाती है।
…तो ज्यादा नहीं मिलेगी लोन की रकम: हालांकि यहां यह बात ध्यान देने लायक है कि आपको मिलने वाली लोन की राशि इस पर निर्भर करती है कि आपकी जमा पूंजी कितनी है। यदि आपने कुछ साल पहले ही बीमा लिया है तो फिर लोन कम मिलेगा। लेकिन 10 या 12 साल बीत चुके हैं तो फिर यह रकम अधिक होगी। बीमा पॉलिसी के अगेंस्ट आप बैंक से भी लोन ले सकते हैं, लेकिन उस पर लगने वाले ब्याज की दर अलग होगी।
चुकाने का क्या है नियम: बीमा पॉलिसी के अगेंस्ट लिए गए लोन पर आप चाहें तो मूलधन की राशि भी किस्तों में लौटा सकते हैं। यदि ऐसी स्थिति नहीं भी है तो आप सिर्फ ब्याज ही चुका सकते हैं। बीमा पॉलिसी के मेच्योर हो जाने पर आपको दिए गए लोन की रकम को कंपनी पूरा काट लेगी और बीमे की बची हुई रकम आपको मिल जाएगी।
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