देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया इस समय नकदी संकट से जूझ रही है। एजीआर संबंधी बकाया पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया पर बंद होने का संकट मंडरा रहा है। अब वोडाफोन-आइडिया को बचाने के लिए आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला ने बड़ा दांव चला है।
कुमार मंगलम बिरला ने वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड में से अपनी हिस्सेदारी सरकार या अन्य कंपनी को देने का ऑफर दिया है। ताकि सरकार इस कंपनी को चालू रखने पर विचार कर सके। बिरला ने कैबिनेट सचिव राजीव गाबा को जून में पत्र लिखकर यह ऑफर दिया है।आधिकारिक डाटा के मुताबिक, वोडाफोन-आइडिया पर एजीआर बकाए संबंधी कुल 58,254 करोड़ रुपए की देनदारी है। इसमें से कंपनी ने 7854.37 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है। अब कंपनी पर 50,399.63 करोड़ रुपए का बकाया है। वोडाफोन आइडिया ने भारती एयरटेल के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में एजीआर संबंधी बकाया की दोबारा गणना को लेकर याचिका दाखिल की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह इस याचिका को खारिज कर दिया था।
बिरला की वोडाफोन में 27 फीसदी हिस्सेदारी: वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में कुमार मंगलम बिरला की 27 फीसदी हिस्सेदारी है। अपने पत्र में बिरला ने कहा है कि निवेशक कंपनी में और निवेश करने के इच्छुक नहीं हैं। बिरला का कहना है कि एजीआर संबंधी बकाया को लेकर अस्पष्टता, स्पेक्ट्रम भुगतान पर अपर्याप्त मोरेटोरियम और सबसे महत्वपूर्ण फ्लोर प्राइस प्रणाली सर्विस की लागत से ज्यादा होने के कारण निवेशक निवेश नहीं करना चाहते हैं।
बंदी की कगार पर पहुंच जाएगी कंपनी: 7 जून को लिखे गए पत्र में बिरला ने कहा है कि अगर इन तीनों बिन्दुओं पर सरकार से तुरंत सहायता नहीं मिलती है तो वोडाफोन आइडिया लिमिटेड बंदी की कगार पर पहुंच जाएगी। वोडाफोन आइडिया से जुड़े 28 करोड़ से ज्यादा भारतीय ग्राहकों के प्रति कर्तव्य की भावना के साथ मैं अपनी हिस्सेदारी को किसी भी सरकारी, प्राइवेट एंटिटी को देने के लिए तैयार हूं। हालांकि, इस पत्र को लेकर बिरला ग्रुप या वोडाफोन आइडिया की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, अभी यह जानकारी भी नहीं मिल पाई है कि इस पत्र के बाद बिरला और सरकार के बीच कोई पत्राचार हुआ है या नहीं?
अभी तक फंड नहीं जुटा पाई है कंपनी: सितंबर 2020 में बोर्ड ने वोडाफोन आइडिया के 25 हजार करोड़ रुपए का फंड जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। हालांकि, कंपनी अभी तक फंड नहीं जुटा पाई है। बिरला के पत्र के मुताबिक, कंपनी ने अभी तक किसी भी चीनी निवेश से संपर्क नहीं किया है। चीनी निवेशकों को छोड़कर अधिकांश विदेशी निवेशक कंपनी में निवेश को लेकर झिझक रहे हैं।
वोडाफोन पर कुल 1.80 लाख करोड़ रुपए का कर्ज: 31 मार्च 2021 तक कंपनी पर कुल 1,80,310 करोड़ रुपए का कर्ज था। इसमें लीज संबंधी देनदारी शामिल नहीं हैं। इस कर्ज में 96,270 करोड़ रुपए की देनदारी डेफर्ड स्पेक्ट्रम पेमेंट की है। 23,080 करोड़ रुपए का कर्ज बैंकों और वित्तीय संस्थानों का है। शेष राशि एजीआर संबंधी देनदारी है।