टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जेआरडी टाटा को उनके जीवन में कई सम्मान मिले हैं। इसमें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न भी शामिल हैं। 1992 में जेआरडी टाटा को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। आज हम आपको इससे जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं।

जेआरडी टाटा को भारत रत्न मिलने की खबर सबसे पहले रतन टाटा ने दी थी। जब रतन टाटा ने जेआरडी को बताया कि उन्हें भारत रत्न के लिए चुना गया है तो जेआरडी की त्वरित प्रतिक्रिया थी,”ओह माय गॉड! मुझे क्यों? क्या हम इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकते?” इसके बाद जेआरडी, रतन टाटा से कहता है कि ”ये सही है कि मैंने कुछ अच्छे काम किए हैं। देश को नागरिक उड्डयन दिया है। उसका औद्योगिक उत्पादन बढ़ाया है। बट सो व्हॉट, ये तो कोई भी अपने देश के लिए करता है।”

बेटे या बेटी को उत्तराधिकारी के रूप में नहीं देखा: टाटा परिवार पर ”द टाटाज: हाउ ए फैमिली बिल्ट ए बिजनेस एंड नेशन” किताब लिखने वाले गिरीश कुबेर कहते हैं कि एक बार जेआरडी टाटा से पूछा गया था कि क्या आपको कभी अपने उत्तराधिकारी की कमी महसूस नहीं हुई जो आपकी विरासत को आगे बढ़ा सके। इस पर जेआरडी ने जवाब दिया था कि मैं बच्चों को प्यार करता हूं। लेकिन मैंने कभी भी किसी बेटे या बेटी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नहीं देखा।

आजादी के बाद भारत के लिए बहुत बड़े सपने देखे: जेआरडी टाटा अपने देश से बहुत प्यार करते थे। आजादी के बाद उन्होंने भारत के लिए बड़े-बड़े सपने देखे थे। जेआरडी टाटा नेहरू परिवार के बहुत नजदीक थे लेकिन वे उनके समाजवादी आर्थिक मॉडल से इत्तेफाक नहीं था। जेआरडी टाटा के देश के आर्थिक विकास में काफी योगदान रहा है। इसी को देखते हुए 1994 में जेआरडी टाटा के नाम पर एक स्टाम्प टिकट भी जारी किया था। 2 रुपए की वैल्यू वाले इस स्टाम्प टिकट पर जेआरडी टाटा की तस्वीर भी बनी हुई थी।

1948 में भारतीय वायु सेना में मानद ग्रुप कैप्टन बने: जेआरडी टाटा को 1948 में भारतीय वायु सेना में मानद ग्रुप कैप्टन के तौर पर नियुक्त किया गया। 1966 में उनको एयर कोमोडोर के पद पर पदोन्नत किया गया। यह पद उस समय भारतीय सेना में ब्रिगेडियर के पद के समान था। 1974 में जेआरडी टाटा को एयर वाइस मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया। 1983 में जेआरडी टाटा को फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान ”लीजियन ऑफ ऑनर” से भी सम्मानित किया गया था।

अधिकांश जीवन फ्रांस में बीता था: जेआरडी टाटा की मां फ्रांस की रहने वाली थीं। उनका अधिकांश जीवन फ्रांस में बीता था। इस कारण फ्रेंच जेआरडी टाटा की पहली भाषा बन गई थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पेरिस के जॉनसन डे सैली स्कूल में हुई थी। जेआरडी टाटा के पास फ्रांस की नागरिकता थी। 1929 में फ्रांस की नागरिकता को छोड़कर भारतीय नागरिकता ग्रहण कर ली थी।