टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा यानी जेआरडी टाटा (JRD Tata) अपने समय के दिग्गज कारोबारियों में से एक रहे हैं। उन्होंने टाटा ग्रुप की कई कंपनियों की स्थापना की है। उनका पूरा जीवन किस्सों से भरा पड़ा है। जेआरडी टाटा के जीवन पर कई किताबें भी लिखी गई हैं।
आज हम आपको जेआरडी टाटा से जुड़ा वो किस्सा बता रहे हैं जो इंफोसिस के फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति से जुड़ा हुआ है। सुधा बताती हैं कि वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश कर रही थीं। इसी दौरान उन्हें टाटा ग्रुप की कंपनी टेल्को (TELCO) में इंजीनियर की नौकरी का एक विज्ञापन देखा। इस विज्ञापन में कहा गया था कि इस पद के लिए केवल पुरुष इंजीनियर ही आवेदन कर सकते हैं। इससे सुधा मूर्ति काफी आहत हुईं।
सुधा मूर्ति ने जेआरडी को पत्र लिखकर जताई आपत्ति: इस विज्ञापन को देखने के बाद सुधा मूर्ति ने जेआरडी टाटा को पत्र लिखकर आपत्ति जताई। इस पत्र में सुधा ने लिखा था कि यह विज्ञापन कंपनी की पुरातनवादी सोच को दर्शाता है। सुधा मूर्ति के इस पत्र को पढ़ने के बाद जेआरडी टाटा ने तुरंत हस्तक्षेप किया। उन्होंने सुधा मूर्ति को तार भेजकर इंटरव्यू के लिए बुलाया। इस इंटरव्यू में सुधा मूर्ति ना केवल सफल रहीं बल्कि वे टाटा के शॉप फ्लोर पर काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर भी बनीं।
नारायण मूर्ति के आने तक सुधा के पास खड़े रहे थे जेआरडी: सुधा बताती हैं कि करीब 8 साल बाद एक दिन जेआरडी टाटा बॉम्बे हाउस की सीढ़ियों पर उनके सामने आ गए। सुधा के मुताबिक, जेआरडी इस बात को लेकर चिंतित थे कि नारायण मूर्ति अभी तक उन्हें लेने नहीं आए हैं और रात हो रही थी। सुधा के मुताबिक, जेआरडी तब तक उनके साथ खड़े रहकर बात करते रहे, जब तक नारायण मूर्ति उन्हें लेने के लिए नहीं आ गए। सुधा बताती है कि जेआरडी के प्रति सम्मान दिखाने के लिए अभी भी अपने दफ्तर में उनकी तस्वीर रखती हैं।
कर्मचारियों को कार में लिफ्ट देते थे जेआरडी: टाटा परिवार के लोगों को काफी सादगी पसंद माना जाता है। जेआरडी टाटा में भी यह खूबी थी। वह अपने कर्मचारियों का भी काफी ख्याल रखते थे। अपनी किताब टाटा लॉग (Tata LOG) में हरीश भाट लिखते हैं कि जेआरडी टाटा कई बार अपने दफ्तर जाने वाले रास्ते में पड़ने वाले बस स्टैंड से कर्मचारियों को लिफ्ट दिया करते थे।
34 साल की उम्र में ही मिल गई थी टाटा ग्रुप की कमान: जेआरडी टाटा काफी कम उम्र में ही टाटा ग्रुप से जुड़ गए थे। जेआरडी का जन्म 29 जुलाई 1904 में हुआ था और 1925 में अप्रेंटिस के तौर पर टाटा संस से जुड़ गए थे। 1938 में 34 साल की उम्र में वे देश के सबसे बड़े कारोबारी घराने टाटा संस के चेयरमैन बन गए थे। जेआरडी टाटा के कार्यकाल में टाटा ग्रुप की कंपनियों ने बेहतर प्रदर्शन किया और ग्रुप की कंपनियों की कुल संपत्ति 10 करोड़ डॉलर से बढ़कर 5 अरब डॉलर तक पहुंच गई। 1988 तक अपने कार्यकाल में जेआरडी ने टाटा ग्रुप की कुल 14 कंपनियों की स्थापना की।