प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू हुई जन-धन योजना के तहत खुले जीराे-बैलेंस खातों में खुद बैंक एक-एक रुपया जमा कर रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) एक्ट के तहत बैंकों से मांगी गई जानकारी की जांच में यह खुलासा हुआ है। केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ अगस्त, 2014 में लॉन्च की गई थी। इसके तहत बैंक खाता विहीन नागरिकों का खाता ख्ुालवाया जाना था। इस योजना के तहत खोले गए करीब 17.90 करोड़ बैंक खातों में से लगभग आधे जीरो बैलेंस वाले खाते थे। 30 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से RTI एक्ट के तहत मिली जानकारी की जांच में, द इंडियन एक्सप्रेस ने छह राज्यों में 25 गांवों और शहरों को खंगाल डाला। हर व्यक्ति की पासबुक चेक की गई और खाताधारक का साक्षात्कार लिया गया। पता चला कि बैंक अधिकारी जीरो बैलेंस वाले खातों में खुद एक रुपया जमा कर रहे हैं, कुछ ने अपने भत्तों से एक-एक रुपया इन खातों में डाला, तो कुछ ने ऑफिस मेंटेनेंस के लिए मिले फंड को इन खातों में एक रुपया जमा करने में लगाया। इसके पीछे उनका मकसद था कि उनकी ब्रांच में जीरो-बैलेंस अकाउंट्स की संख्या कम करना।
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में, 20 शाखा प्रबंधकों और बैंक अधिकारियों ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि उन पर यह दिखाने का ‘दबाव’ है कि जीरो-बैलेंस खातों की संख्या गिर रही है। एक अधिकारी के मुताबिक, ”ऐसा समझा जाता है कि बहुत सारे जीरो-बैलेंस अकाउंट्स का मतलब है कि कोई उन्हें इस्तेमाल नहीं कर रहा।” इससे बचने का शॉर्ट-कट था कि उनमें एक रुपया जमा कर दिया जाए। RTI से मिली जानकारी के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के 18 बैंकों और उनके 16 क्षेत्रीय ग्रामीण सहयोगियों के पास 1.05 करोड़ जन धन खाते ऐसे हैं, जिनमें एक रुपया जमा है। सिंडिकेट बैंक, गुवाहाटी में अजीत कुमार दास के बैंक अकांउट से लेकर पंजाब नेशनल बैंक के बार, बिहार में लल्लू पासवान के बैंक अकांउट तक, राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में गुड्डी देवी के बैंक अकांउट से लेकर रातीबाद, भोपाल के निजाम खान के बैंक ऑफ इंडिया अकांउट तक में एक रुपया जमा है। ये सभी जीरो-बैलेंस अकाउंट हैं। कुछ मामलेां में 2 और 5 रुपए भी खातों में जमा पाए गए। भोपाल के नजदीक रातीबाद की प्रेम बाई के जीरो-बैलेंस बैंक अकाउंट में 20 जुलाई, 2016 को 10 पैसे ट्रांसफर किए गए हैं।
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बड़े पैमाने पर देखें तो जीरो-बैलेंस अकाउंट्स की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। जहां सितंबर 2014 में 76 प्रतिशत जीरो बैलेंस बैंक अकाउंट थे, जो अगस्त 2015 तक घटकर 46 फीसदी रहे गए। 32 अगस्त, 2016 तक जीरो बैलेंस खातों की संख्या 24.35 फीसदी है।