नया इनकम टैक्स बिल उन मौजूदा नियमों की जगह लेगा जिनका लोग आईटीआर फाइल करते समय पालन करते हैं। इससे एक जरूरी सवाल आता है कि आईटीआर फाइलिंग की प्रोसेस आज से कितनी अलग होगी? टैक्सपेयर्स वर्षों से कटौतियों, छूटों और स्लैब की मौजूदा व्यवस्था के आदी रहे हैं। हालांकि, नया विधेयक एक आसान रूपरेखा का वादा करता है, लेकिन क्या इसका मतलब कुछ पुराने बेनिफिट को छोड़ना भी हो सकता है? आइए जानते हैं…

आईटीआर फाइलिंग करने के लिए साल 2026 में प्रमुख बदलाव –

आईटीआर और टीडीएस अगर आप लेट फाइल करते हैं…

टैक्सपेयर्स अगले साल से अगर आप किसी वजह से समय सीमा के भीतर अपना आईटीआर फाइल नहीं कर पाए, तो भी उनको अपना टैक्स रिफंड पाने का अधिकार होगा। नया इनकम टैक्स बिल समय सीमा के बाद टीडीएस विवरण फाइल करने पर लगने वाले जुर्माने को हटा देता है। यह कदम उन व्यक्तियों और बिजनेस को राहत प्रदान करता है जो अक्सर सख्त समय-सीमाओं को पूरा करने में संघर्ष करते हैं।

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जीरो टीडीएस सर्टिफिकेट

जिन टैक्सपेयर्स पर अब कोई टैक्स देनदारी नहीं है, वे अब शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र के लिए अग्रिम आवेदन कर सकते हैं।

पेंशन इनकम पर राहत

एलआईसी पेंशन फंड जैसे कुछ पेंशन फंडों से प्राप्त कम्यूटेड पेंशन अब पूरी तरह से कर-फ्री होगी। विधेयक में साफ तौर पर इस कटौती का प्रावधान है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों और ऐसे फंडों में स्वतंत्र रूप से निवेश करने वालों को वेतनभोगी सरकारी कर्मचारियों के समान ही राहत मिले।

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प्रॉपटी टैक्स के नियमों में बदलाव

घर की संपत्ति से होने वाली इनकम पर 30% की मानक कटौती जारी रहेगी साथ ही होम लोन ब्याज भुगतान पर भी राहत बरकरार रखी गई है। इसका उद्देश्य घर के मालिकों को स्थिर टैक्स बेनिफिट प्रदान करना है, जिससे संपत्ति का स्वामित्व आर्थिक रूप से अधिक प्रबंधनीय हो सके।