वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अब तक 2.47 करोड़ ITR दाखिल किए जा चुके हैं। पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, करीब 75% टैक्स ने अभी तक अपना रिटर्न फाइल नहीं किया है। हर वर्ष, कई टैक्सपेयर्स अपनी इनकम टैक्स रिजीम बदलने को लेकर असमंजस में रहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बदलाव करने से उन्हें टैक्स पर बचत करने में मदद मिल सकती है।
यह खास तौर पर सैलरीड व्यक्तियों के लिए सच है, जिन्हें वित्तीय वर्ष की शुरुआत में एक टैक्स रिजीम चुनने के लिए कहा जाता है। अपनी पसंद के आधार पर, वे अपने नियोक्ताओं को अपने निवेश की घोषणा करते हैं। वर्ष के अंत में, उन्हें पहले घोषित किए गए निवेशों का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए फिर से कहा जाता है। क्या आप इस वर्ष अपना टैक्स रिटर्न फाइल कर रहे हैं? पुराना या नया? बहुत से लोग ITR फाइल करते समय अपनी टैक्स रिजीम बदलना चाहते हैं, लेकिन उन्हें ठीक से पता नहीं होता कि यह कैसे करें।
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 से नई टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट कर दिया है यानी अगर आप कुछ नहीं चुनते हैं, तो आपका ITR नई व्यवस्था के अनुसार ही प्रोसेस होगा। लेकिन अच्छी बात यह है कि सैलरीड टैक्सपेयर्स के पास ITR फाइल करते समय पुरानी या नई व्यवस्था चुनने का विकल्प होता है, आइए जानते हैं इसे कैसे बदल कर सकते हैं…
क्या है पुरानी और नई व्यवस्था में अंतर?
ओल्ड टैक्स रिजीम आपको कई छूटों और कटौतियों (जैसे 80C, 80D, HRA, LTA आदि) का बेनिफिट देती है, जबकि नई टैक्स रिजीम कम टैक्स स्लैब दर के साथ आती है, लेकिन करीब कोई छूट नहीं यानी अगर आप अधिक निवेश और टैक्स बचत करते हैं, तो पुरानी व्यवस्था आपके लिए फायदेमंद हो सकती है, जबकि अगर आपकी टैक्स बचत कम है, तो नई व्यवस्था बेहतर साबित हो सकती है।
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ITR फाइल करते वक्त कैसे बदले टैक्स रिजीम?
– सबसे पहले अपनी इनकम और प्रोफाइल के अनुसार सही ITR फॉर्म (जैसे ITR-1 या ITR-2) चुनें।
– https://www.incometax.gov.in/ पर लॉग इन करें।
– ‘ई-फाइल’ मेनू पर जाएं और ‘आयकर रिटर्न’ > ‘आयकर रिटर्न फाइल करें’ विकल्प पर क्लिक करें।
– कर निर्धारण वर्ष 2025-26 (जो कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए है) चुनें।
– फ़ॉर्म भरते समय, आपको एक सेक्शन मिलेगा जिसमें पूछा जाएगा कि आप कौन सी कर व्यवस्था चुनना चाहते हैं – नई या पुरानी।
– आप पुरानी से नई या फिर नई से पुरानी टैक्स रिजीम में स्विच कर सकते हैं। यह विकल्प चुनते समय सावधानी बरतें, क्योंकि एक बार सबमिट करने के बाद, इसे बदला नहीं जा सकता।
फ्रीलांसर और कारोबारियों के लिए अलग है नियम
गैर-सैलरीड वर्ग यानी फ्रीलांसर या व्यवसायी के लिए हर वर्ष कर व्यवस्था बदलने की अनुमति नहीं है। एक बार विकल्प चुनने के बाद उन्हें उसी व्यवस्था को जारी रखना होगा, जब तक कि वे फॉर्म 10-IE/10-IEA के माध्यम से बदलाव की अनुमति न ले लें।
पहले से चली आ रही व्यवस्था पर न रहे निर्भर
अगर आप टैक्स सेविंग्स के लिए योजनाबद्ध निवेश करते हैं, तो जरूरी है कि आप पुरानी टैक्स रिजीम ही चुनें। कई टैक्स पेयर्स सोचते हैं कि उनके नियोक्ता जो भी चुनेंगे, वही अंतिम होगा, लेकिन सच्चाई यह है कि आप ITR फाइल करते समय अपने नियोक्ता के चयन को बदल सकते हैं।
नए पोर्टल में ये भी है सुविधा
इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट के नए ई-फाइलिंग पोर्टल पर टैक्स रिजीम से जुड़ी जानकारी भरना आसान हो गया है। टैक्स रिजीम चुनने का विकल्प फॉर्म स्क्रीन पर ही दिखाई देता है।
स्मॉल टैक्सपेयर्स के लिए सुझाव
अगर आपकी सालाना इनकम FY25 के लिए 7 लाख रुपये तक थी और आपने कोई टैक्स बचत नहीं की है, तो नई कर व्यवस्था आपके लिए बेहतर हो सकती है क्योंकि 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता। लेकिन अगर आपने 80C, 80D और हाउस लोन जैसी छूट ली हैं, तो कुल टैक्स पुरानी व्यवस्था से कम हो सकता है।