दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत 2026 में मजबूत स्थिति बनाए रखने की राह पर है, जहां पर मजबूत ग्रोथ, कम महंगाई एवं सुदृढ़ बैंकिंग प्रदर्शन जैसे अनुकूल कारक मौजूद हैं। साथ ही 2025 के दौरान देखी गई आर्थिक रफ्तार को कायम रखने के लिए सुधार पहलें भी तैयार हैं।
केंद्र सरकार से जीवन सुगमता एवं कारोबार सुगमता के विषयों को आगे बढ़ाते हुए आगामी बजट में पूंजीगत व्यय तथा निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नए उपायों की घोषणा किए जाने की उम्मीद है जिससे शुल्क एवं भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच भारत एक अधिक आकर्षक निवेश गंतव्य बन सके।
आधार वर्ष 2011-12 पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर लगातार तिमाहियों में बढ़ी है। 2025-26 की दूसरी तिमाही में यह 8.2% पर पहुंच गई जबकि खुदरा महंगाई वर्ष के अंत तक भारतीय रिजर्व बैंक की निचली सीमा 2% से नीचे आ गई।
सरकार के एक बयान में कहा गया कि भारत ने 4180 अरब अमेरिकी डॉलर की GDP के साथ जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल कर लिया है। 2030 तक अनुमानित 7300 अरब डॉलर की जीडीपी के साथ अगले ढाई से तीन वर्ष में जर्मनी को पछाड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचने की राह पर है।
इसमें में कहा गया, ‘ मौजूदा व्यापक आर्थिक स्थिति उच्च वृद्धि और कम महंगाई के दुर्लभ मजबूत दौर को दर्शाती है।’ सरकार राष्ट्रीय खातों के लिए आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने पर भी काम कर रही है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना पद्धति को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा उठाई गई चिंताओं का प्रभावी समाधान किया जा सके।
घरेलू मुद्रा के मोर्चे पर, शेयर बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के बहिर्वाह से रुपये पर दबाव बना, हालांकि नवंबर में रुपये की अस्थिरता एक महीने पहले की तुलना में कम हुई।
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अर्थव्यवस्था आकलन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर चुनौतीपूर्ण एवं अनिश्चित माहौल के बावजूद 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूत जुझारूपन दिखाया और पूरे वर्ष वृद्धि में तेजी बनी रही। यह वृद्धि मुख्य रूप से मजबूत घरेलू मांग खासकर ग्रामीण उपभोग, महंगाई में नरमी एवं स्थिर निवेश में बढ़ोतरी से संचालित रही, जिसने इस गति को बनाए रखा।
प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक गति को दर्शाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया। विश्व बैंक, आईएमएफ, मूडीज, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी), फिच और एसएंडपी जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी इस आशावादी रुख की पुष्टि की।
विशेषज्ञों का मानना है कि वृद्धि दर में कुछ नरमी आ सकती है लेकिन मजबूत घरेलू बुनियाद, अनुकूल वित्तीय परिस्थितियों और जारी सुधारों से अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से उत्पन्न बाहरी दबाव एवं उनका निर्यात पर असर चुनौती बन सकता है।
हालांकि, प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के जल्द पूरा होने से निर्यात और अर्थव्यवस्था को और बल मिल सकता है। फरवरी में पेश होने वाले केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सुधारों को और गहरा करने तथा अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अतिरिक्त उपायों की घोषणा की व्यापक उम्मीदें हैं। उन्होंने पिछली बार करदाताओं को उल्लेखनीय राहत देने के साथ-साथ घरेलू एवं विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के उपायों की घोषणा की थी।
माइक्रोसॉफ्ट (2030 तक 17.5 अरब डॉलर), अमेजन (अगले पांच वर्ष में 35 अरब डॉलर) और गूगल (अगले पांच वर्ष में 15 अरब डॉलर) जैसी कई वैश्विक कंपनियों ने बड़े निवेश की घोषणाएं की हैं। इसके अलावा, आईफोन विनिर्माता एप्पल, दक्षिण कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी सैमसंग और आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया ने भी बड़ी विस्तार योजनाओं की घोषणा की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत द्वारा किए गए मुक्त व्यापार समझौतों से भी अर्थव्यवस्था के विस्तार में मदद मिलने की उम्मीद है। प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौता (जिसके जल्द साकार होने की संभावना है) निर्यात एवं उद्योग विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) के लिए उत्प्रेरक साबित होगा।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने आगामी परिदृश्य पर कहा कि अगले कुछ तिमाहियों में वृद्धि दर के करीब 6.5 से सात प्रतिशत पर बने रहने की उम्मीद है, जिसे आयकर एवं जीएसटी कटौती तथा नीतिगत दरों में 125 आधार अंकों की कटौती के रूप में नीतिगत समर्थन मिलेगा।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने भी कहा कि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया जहां वृद्धि अनुमान से अधिक रही और मुद्रास्फीति अपेक्षा से कम बनी रही। उन्होंने कहा कि हालांकि अमेरिका के भारी शुल्क के कारण विदेशी निवेशकों की धारणा पर असर पड़ा। इसके परिणामस्वरूप पूंजी प्रवाह को लेकर चुनौतियां सामने आईं और मुद्रा कमजोर हुई।
जोशी ने कहा, ‘हम वित्त वर्ष 2026-27 में जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत और महंगाई (मुख्य रूप से आधार प्रभावों से प्रेरित) पांच प्रतिशत रहने का अनुमान लगाते हैं। हमारा मानना है कि कमजोर पूंजी प्रवाह और मुद्रा में गिरावट अस्थायी घटनाएं हैं।’
भाषा
