Indian Railways female train drivers big expose: भारतीय रेलवे देश में लोगों की आवाजाही का सबसे बड़ा जरिया है। देश की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्टर इंडियन रेलवे हर दिन लाखों लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचाती है। और इस मंजिल तक पहुंचाने में रेलवे लोको पायलट और ड्राइवर्स समेत तमाम स्टाफ की बड़ी भूमिका रहती है। अब रेलवे की महिला ट्रेन ड्राइवर्स ने एक बेहद चौंकाने वाली स्थिति को लेकर खुलासा किया है जो वाकई बेहद असुरक्षित होने के साथ-साथ आश्चर्यजनक भी है। महिला लोको पायलटों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा है कि ड्यूटी के दौरान उन्हें वॉशरूम ब्रेक पर जाने के लिए वॉकी-टॉकी पर जानकारी देनी पड़ती है।
एक फीमेल लोको पायलट के मुताबिक, टॉयलेट जाने के लिए उन्हें पहले अपने मेल लोको पायलट को बताना पड़ता है। इसके बाद पुरुष लोको पायलट, स्टेशन मास्टर और कंट्रोल डिपार्टमेंट से बातचीत करता है। और सबसे बड़ी बात है कि यह पूरी बातचीत वॉकी-टॉकी पर होती है जिसका एक्सेस रेलवे के कई सारे अधिकारियों के पास होता है। इससे पूरे स्टेशन को यह जानकारी मिल जाती है कि एक फीमेल ड्राइवर को टॉयलेट जाना है।
महिला लोको पायलट ने बताया,’ये सारी बातचीत वॉकी-टॉकी के जरिए होती है जिसका एक्सेस उस रेंज के दर्जनों दूसरे अधिकारियों के पास भी होता है। और हर जगह यह बात फैल जाती है कि इंजन में एक महिला ड्राइवर मौजूद है और वह टॉयलेट जाना चाहती है।’
1700 से ज्यादा महिला ट्रेन ड्राइवर्स को हो रही परेशानी
फीमेल ट्रेन ड्राइवर्स का कहना है कि इस परेशानी के चलते हमारी सेफ्टी और प्राइवेसी दांव पर लगी होती है। और करीब 1700 से ज्यादा महिला ट्रेन ड्राइवर्स पर इसका असर पड़ रहा है। इनमें से करीब 90 फीसदी ट्रेन में पुरुष ड्राइवर्स के साथ असिस्टेंट लोको पायलट के तौर पर काम कर रही हैं।
एक फीमेल लोको पायलट ने एक घटना को याद करते हुए कहा कि एक बार एक स्टेशन पर वॉशरूम ब्रेक के लिए जब वो मालगाड़ी से उतरीं तो उन्हें काफी असुविधा महसूस हुई क्योंकि अधिकारी उन्हें घूर रहे थे और वॉकी-टॉकी मैसेज के चलते उनके वॉशरूम जाने के बारे में पहले से सभी को पता था। उनका कहना है कि पैसेंजर ट्रेन में तो फिर भी किसी कोच में टॉयलेट जाया जा सकता है लेकिन मालगाड़ी में ड्राइविंग के समय स्टेशन पर उतरना ही पड़ता है।
इसके अलावा महिला ड्राइवर्स ने सुरक्षा को लेकर भी चिंता जाहिर की है। खासतौर पर उन छोटे स्टेशनों पर सुरक्षा को लेकर उन्होंने चिंता जताई जहां वॉशरूम सुनसान जगहों पर बने हैं। उनका कहना है कि ऐसे में ट्रेन के इंजन से बाहर जाना काफी जोखिम भरा होता है।
वॉशरूम ना जाने के चक्कर में पानी कम पीती हैं महिला ड्राइवर्स
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (NFIR) के अशोक शर्मा ने बताया कि कई फीमेल लोको पायलट इस वजह से कम पानी पीती हैं ताकि उन्हें वॉशरूम ब्रेक ना लेना पड़े। इससे उन्हें डीहाइड्रेशन और स्वास्थ्य से जुड़ीं दूसरी समस्याएं होती हैं। उन्होंने बताया, ‘पिछले कुछ सालों में सैकड़ों नई लड़कियां ट्रेन ड्राइविंग के पेश में आई हैं और वे इन चुनौतियों से अनजान थीं और अब वे तनाव में हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘कई सारी लोको पायलट अपनी ड्यूटी शुरू होने से पहले पानी पीने से बचती हैं और ड्यूटी के समय भी वे लिक्विड फूड आइटम नहीं लेने की कोशिश करती हैं। ऐसा होने से डीहाइड्रेशन होता है और उनमें लाइफस्टाइल से जुड़ी कई दूसरी बीमारियां होती हैं। यह स्थिति वाकई बेहद चिंताजनक है।’
उच्च तापमान के चलते बेहोशी और तबियत खराब के मामले बढ़े
कई फीमेल ड्राइवर्स ने उच्च तापमान में पानी के बिना काम करने के चलते बेहोश होने और तबियत खराब होने के मामले भी साझा किए हैं।
महिला लोको पायलटों ने खुलासा किया कि कई बार उनकी ट्रेन के पीछे जरूरी ट्रेनें होने के चलते त्वरित वॉशरूम ब्रेक लेने से मना कर दिया जाता है।
झांसी डिवीजन की एक लोको पायलट ने बताया, ‘पहली बार वॉशरूम जाने की बात बताने पर ही इजाज मिलने पर हम भाग्यशाली महसूस करते हैं क्योंकि कई बार हमें अगले कुछ स्टेशन तक रुकने के लिए बोला जाता है। ऐसा पीछे आ रही बड़ी ट्रेनों के चलते होता है। कई बार समय बचाने के लिए, लोको पायलट हमसे ट्रैक के पीछे बने स्टेशनरी वैगन के पीछे शौच जाने के लिए कहते हैं।’
ड्यूटी के दौरान टॉयलेट ब्रेक के लिए कोई नियम नहीं
इंडियन रेलवे लोक रनिंगमेन ऑर्गनाइजेशन (IRLRO) के वर्किंग प्रेसिडेंट संजय पांधी ने बताया कि भारतीय रेलवे में ड्यूटी के दौरान टॉयलेट ब्रेक के लिए किसी तरह के नियम नहीं हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे ने कभी भी ट्रेन चलाते समय अपने रनिंग स्टाफ के लंच या वॉशरूम ब्रेक को लेकर कोई नियम तय नहीं किए हैं।
IRLRO की सालों की कोशिशों के बाद मिनिस्ट्री ऑफ लेबर ने हाल ही में लोको रनिंग स्टाफ के लिए खाने और वॉशरूम इंटरवल के लिए नियम बनाने के लिए एक कमेटी गठित की थी। पांधी ने कहा, ‘”मुझे उम्मीद है कि भारतीय रेलवे के सभी रनिंग स्टाफ के हित में कुछ तौर-तरीके तैयार किए जाएंगे।” पांधी ने उम्मीद जताई कि समिति सभी रनिंग स्टाफ की चिंताओं का समाधान करेगी।
अप्रैल में मदुरै रेलवे स्टेशन के पास एक महिला गार्ड पर हमले के बाद स्थितियों को बेहतर करने की मांग तेज हो गई।