सरकारी क्षेत्र के इंडियन बैंक (Indian Bank) को तीन कंपनियों से 266 करोड़ रुपये का चूना (Bank Fraud) लग गया है। बैंक ने शनिवार को इसके बारे में शेयर बाजारों को इसकी जानकारी दी। बैंक ने बताया कि उसने रिजर्व बैंक (RBI) को भी इसकी सूचना दे दी है।

पहले से एनपीए कैटेगरी में थे तीनों लोन अकाउंट

इंडियन बैंक के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, उसने तीन कंपनियों एमपी बॉर्डर चेकपोस्ट डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (M P Border Checkpost Development Co Ltd), पुणे शोलापुर रोड डेवलपमेंट (Pune Sholapur Road Development) और सोनक (SONAC) को जो कर्ज दिए थे, वे फ्रॉड पाए गए हैं। बैंक ने पहले इन तीनों मामलों को नॉन परफॉर्मिंग अकाउंट (NPA) की कैटेगरी में डाला हुआ था। अब इन्हें फ्रॉड करार दिया गया है। यह रिजर्व बैंक के द्वारा तय नियामकीय रूपरेखा के आधार पर किया गया है।

तीनों कंपनियों ने लोन से मिले फंड को किया डायवर्ट

इंडियन बैंक के द्वारा बताए गए इस फ्रॉड में एमपी बॉर्डर चेकपोस्ट डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड को दिए गए 166.89 करोड़ रुपये, पुणे शोलापुर रोड डेवलपमेंट को दिए गए 72.76 करोड़ रुपये और सोनक को दिए गए 27.08 करोड़ रुपये शामिल हैं। बैंक का कहना है कि इन तीनों मामलों में फंड को डायवर्ट किया गया है। इसका अर्थ हुआ कि बैंक से जिस काम के लिए कर्ज लिए गए थे, फंड का इस्तेमाल वहां नहीं किया गया।

इंडियन बैंक ने किए इतने करोड़ के प्रावधान

इंडियन बैंक ने बताया कि उसने सोनक के फ्रॉड के मामले में 12.58 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वहीं एमपी बॉर्डर चेकपोस्ट डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड और पुणे शोलापुर रोड डेवलपमेंट के मामले में फ्रॉड की राशि के लगभग बराबर का प्रावधान किया गया है।

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2020-21 में हुए करीब 14 हजार करोड़ के बैंक फ्रॉड

पिछले कुछ साल में बैंक फ्रॉड को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने कई उपाय किए हैं। इनके कारण बैंक से लोन लेकर फ्रॉड करने के मामले कुछ कम भी हुए हैं। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक फ्रॉड के मामले कम होकर करीब 7,363 मामले सामने आए। यह साल भर पहले के 8,703 मामलों से 15 प्रतिशत कम है। बैंक फ्रॉड के मामलों की कुल वैल्यू भी 18,500 करोड़ रुपये से 25 प्रतिशत कम होकर 13,800 हजार करोड़ रुपये पर आ गई है।