रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण अमेरिका द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ (वाणिज्य कर) लगाने की घोषणा का भारत-रूस सम्बन्धों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है। गुरुवार को भारत-रूस ने दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Minerals) के उत्खनन समेत कई सेक्टरों में औद्योगिक सहयोग पर चर्चा की है। अमेरिका द्वारा भारत पर लगायी गयी 25 प्रतिशत टैरिफ की दर गुरुवार (7 अगस्त) से लागू हो चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि 27 अगस्त से भारत पर लगने वाली टैरिफ की दर 50 प्रतिशत कर दी जाएगी।

चीन ने एक हफ्ते पहले ही भारत को सात दुर्लभ खनिजों का निर्यात करने पर रोक लगा दी थी। चीन का ग्लोबल दुर्लभ खनिजों के बाजार दबदबा है और वह दुनिया की 85 से 95 प्रतिशत मांग की आपूर्ति करता है। चीन के इन प्रतिबंधों से भारत में ऑटोमोबाइल उत्पादन प्रभावित हुआ है।

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दोनों देश करेंगे दुर्लभ खनिजों की खुदाई पर काम

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा, “दोनों पक्षों ने दुर्लभ पृथ्वी और महत्वपूर्ण खनिजों की खुदाई, भूमिगत कोयला गैसीकरण और आधुनिक औद्योगिक बुनियादी ढांचे के निर्माण में अवसरों पर बात की।”

मंत्रालय ने आगे बताया कि जिन सेक्टरों पर मुख्य फोकस है, उनमें- एयरोस्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी में सहयोग शामिल है। जैसे आधुनिक विंड टनल फैसिलिटी की स्थापना, छोटे एयरक्राफ्ट पिस्टन इंजन का उत्पादन, और कार्बन फाइबर टेक्नोलॉजी, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग और 3D प्रिंटिंग में संयुक्त विकास।

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DPIIT सचिव अमरदीप सिंह भाटिया और रूसी संघ के उद्योग और व्यापार उप मंत्री एलेक्सी ग्रुजदेव ने खनन उपकरण, खोज और औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन (domestic waste management) में कैपेसिटी बिल्डिंग और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ-साथ एल्युमिनियम, उर्वरक और रेलवे परिवहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर भी चर्चा की।

मंत्रालय ने कहा, “बैठक दोनों सह-अध्यक्षों द्वारा 11वें सत्र के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर के साथ खत्म हुई, जिसमें रणनीतिक भारत-रूस साझेदारी और औद्योगिक व आर्थिक सहयोग को गहरा करने की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई। सत्र में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, डोमेन विशेषज्ञों और उद्योग प्रतिनिधियों सहित दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 80 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।”

भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ

गौर करने वाली बात है कि बुधवार को अमेरिका ने कहा था कि वह यूक्रेन में रूस की कार्रवाई पैदा राष्ट्रीय आपातकाल से निपटने के लिए 1 अगस्त को घोषित 25 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ के अलावा भारतीय वस्तुओं पर “अतिरिक्त 25 प्रतिशत यथामूल्य शुल्क” लगाएगा।

अमेरिका द्वारा इस अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत पर काफी दबाव बढ़ गया है, क्योंकि इसके अधिकांश प्रतिस्पर्धी – जैसे कि वियतनाम, बांग्लादेश और चीन को 19 से 30 प्रतिशत की सीमा में कम अमेरिकी टैरिफ लगाया गया है। हालांकि, फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी छूट वाली कैटेगिरी में भारत का निर्यात, उसके कुल वार्षिक माल निर्यात का लगभग आधा है, जो 80 बिलियन डॉलर है।

चीन को अमेरिका ने क्यों नहीं बनाया निशाना?

नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक Global Trade Research Initiative (GTRI) ने कहा कि अकेले 2024 में चीन ने 62.6 बिलियन डॉलर का रूसी तेल खरीदा, जो भारत के 52.7 बिलियन डॉलर से अधिक है। जीटीआरआई ने कहा, वाशिंगटन ने बीजिंग को निशाना बनाने से परहेज किया है, क्योंकि गैलियम, जर्मेनियम, दुर्लभ पृथ्वी और ग्रेफाइट जैसे महत्वपूर्ण मटीरियल पर चीन का दबदबा है, जो अमेरिकी रक्षा और टेक्नोलॉजी के लिए महत्वपूर्ण हैं।

“अमेरिका ने रूस के साथ अपने सहयोगियों के व्यापार को भी नजरअंदाज कर दिया है: यूरोपीय संघ ने पिछले साल 39.1 बिलियन डॉलर के रूसी सामान का आयात किया, जिसमें 25.2 बिलियन डॉलर का तेल भी शामिल था, जबकि अमेरिका ने खुद रूस से 3.3 बिलियन डॉलर का रणनीतिक मटीरियल खरीदा था। उम्मीद है कि टैरिफ से अमेरिका में भारतीय सामान काफी महंगा हो जाएगा, जिससे यूएस-बाउंड एक्सपोर्ट्स में 40-50 प्रतिशत की कटौती होने की संभावना है।”