इस वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल के महीने में चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेन के निर्यात पर कड़े नियंत्रण लगाए थे। चीन द्वारा इन चुम्बकों के निर्यात पर कड़े नियंत्रण लगाए जाने के बाद से पहली बार डीई डायमंड, हिताची और कॉन्टिनेंटल इंडिया सहित चार भारतीय कंपनियों को चीनी रेयर अर्थ मैग्नेन के आयात के लिए परमिट प्राप्त हुए हैं।
ये मंजूरियां इनमें से कुछ कंपनियों की भारतीय शाखाओं को मिली हैं जो देश के ऑटोमोटिव सेक्टर को उपकरण आपूर्ति करती हैं और निर्यात नियंत्रण और कई अन्य शर्तों के अधीन हैं। उद्योग सूत्रों ने बताया कि ये अनुमतियां सशर्त हैं और सभी आवेदनों के लिए नहीं हैं।
चीन से रेयर अर्थ मैग्नेन और संबंधित सामग्रियों पर 4 अप्रैल से लागू हुए नए प्रतिबंधों ने भारत के वाहन निर्माताओं सहित दुनिया भर के वाहन निर्माताओं को प्रभावित किया है। यहां के इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता विशेष रूप से प्रभावित हैं और महत्वपूर्ण घटकों की संभावित कमी का सामना कर रहे हैं, जिससे ऑटो बाजार के एक नए, लागत-संवेदनशील क्षेत्र में कीमतों में वृद्धि और प्रोडक्शन में देरी की चिंताएं बढ़ गई हैं।
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भारतीय कार उद्योग ने चीन से रेयर अर्थ मैग्नेन की खरीद की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए सरकार के साथ बातचीत शुरू की थी। हालांकि चीनी सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में एक महत्वपूर्ण तत्व, रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया था, फिर भी इस प्रक्रिया को बहुत कठिन बना दिया गया था, जिससे लंबा समय लग सकता था और इस बीच कमी का खतरा भी पैदा हो सकता था।
रेयर अर्थ मैग्नेट, विशेष रूप से नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) मैग्नेट, इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के लिए काफी जरूरी हैं। ये इलेक्ट्रिक मोटरों के लिए जरूरी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र प्रदान करते हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहन चलाने वाले ट्रैक्शन मोटर भी शामिल हैं। ये मैग्नेट पावर स्टीयरिंग सिस्टम, वाइपर मोटर और ब्रेकिंग सिस्टम जैसे अन्य इलेक्ट्रिक वाहन घटकों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन रेयर अर्थ मैग्नेट पर चीन का कब्जा है।
भारतीय कार उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहले द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि आयातकों को अपने चीनी आपूर्तिकर्ताओं को यह वचन देना जरूरी था कि उस देश से खरीदे गए रेयर अर्थ मैग्नेट का इस्तेमाल केवल वाहनों में ही किया जाएगा। इन वचनों को चीनी ऑथॉरिटीज को भेजे जाने से पहले भारत के कई सरकारी विभागों से भी गुजरना पड़ता था।
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कार्यकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “इस प्रक्रिया को और भी जटिल बनाने वाली बात यह है कि चीनी पक्ष ने स्थानीय सरकारों पर अपने आयातकों के लिए अप्रूवल जारी करने का भी आग्रह करना शुरू कर दिया है। हमारे मामले में यह विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) होगा, जिसे प्रत्येक आयातक के लिए अलग से अप्रूवल करना होगा। चीनी दूतावास से भी एक अलग प्राधिकरण मांगा गया था।”
एक दूसरे कार्यकारी ने कहा, “हम वैकल्पिक स्रोतों से रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति पर भी विचार कर रहे हैं, लेकिन चीन वास्तव में इस क्षेत्र में अग्रणी है। इसमें कुछ समय लग सकता है।”
भारतीय कार निर्माताओं ने पिछले कुछ महीनों में अपना स्टॉक लगभग खर्च कर दिया था। आगे चलकर इनकी कीमत का अनुमान लगाया जा रहा था। परेशानी वाली बात ये है कि चीन ने कहा है कि चुम्बकों की अलग से आपूर्ति करने के बजाय, कार निर्माता पूरी इलेक्ट्रिक मोटर असेंबली चीनी कंपनियों से खरीदें या बस चीनी अधिकारियों द्वारा लोकल रेयर अर्थ मैग्नेट प्रोडक्ट्स को निर्यात परमिट जारी करने का इंतजार करें।
रॉयटर्स के मुताबिक, चार मैग्नेट उत्पादकों के लिए किया गया है, जिनमें वोक्सवैगन के आपूर्तिकर्ता भी शामिल हैं। जून में चीन द्वारा शिपमेंट प्रतिबंधित करने के बाद से यह पहली बार दिया गया है।
पूरी मोटर (न कि केवल चुम्बक) खरीदने में समस्या यह है कि कार निर्माताओं को अपनी कारों को पूरी मोटर असेंबली (जो मानक आकारों में आती है) के लिए फिर से डिजाइन करना होगा। चुम्बक आयात करने की क्षमता का मतलब था कि निर्माता अपनी कारों के डिजाइन के अनुसार मोटर के आकार को अर्जेस्ट कर सकते थे।
हालांकि, रेयर अर्थ मेटल की उपलब्धता केवल चीन तक ही सीमित नहीं है, लेकिन इन क्रिटिकल ऐलीमेंट्स की प्रोसेसिंग में चीन काफी आगे है, जो कभी अमेरिका और जापान के पास था। हाल के वर्षों में सरकारी नीतियों के कारण जापान अपने कुछ खनिजों की प्रोसेस इंडस्ट्री को फिर से शुरू करने में सफल रहा है, लेकिन अमेरिका और भारत जैसे देश इन धातुओं के लिए चीन के निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
अमेरिकी टैरिफ के जवाब में इस वर्ष की शुरूआत में चीन ने सात हेवी रेयर अर्थ मेटल (समेरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डिस्प्रोसियम, ल्यूटेशियम, स्कैंडियम और इट्रियम ) के साथ-साथ रेयर अर्थ मैग्नेट पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसने कुछ महीने पहले अमेरिका को गैलियम, जर्मेनियम, एंटीमनी और अन्य प्रमुख हाई-टेक सामग्रियों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनका सैन्य उपयोग संभव है।
