करीब एक हफ्ते पहले देश की जीडीपी के आंकड़े जारी हुए थे। तब से अब तक जीडीपी और देश की इकोनॉमी पर चर्चा चल रही है। आंकड़ों को देखने पर पता चलता है कि जिस साल नोटबंदी हुई उसके बाद से देश की जीडीपी में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। रही सही कसर कोरोना वायरस और उसके बाद देश में लगे लॉकडाउन पूरी कर दी। देश में आर्थिक गतिविधियां बंद होने के कारण देश की जीडीपी पर इसका असर पड़ा है। तिमाही आधार पर पिछले साल देश की जीडीपी 24 फीसदी तक नीचे गिर चुकी है। जबकि सालाना आधार पर ताजा आंकड़ों के अनुसार 7 फीसदी से ज्यादा नीचे नीचे है, जो 40 सालों के इतिहास में सबसे खराब है।
देश में जीडीपी के गिरने की शुरुआत नोटबंदी से ही हो गई थी। नवंबर 2016 में नोटबंदी का ऐलान हुआ था। जिसके बाद आम लोंगों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ा वो सभी दे देखा है। नोट बदलवाने और नए नोटों को लेने के लिए बैंक और एटीएम के बाहर लंबी लाइनों में कई लोगों की जान तक चली गई। वहीं नुकसान फॉर्मल और इनफॉर्मल दोनों सेक्टर को उठाना पड़ा, लेकिन उसका असर अगले वित्त वर्ष में देखने को मिला। 2016-17 में देश की जीडीनी 8.26 फीसदी देखने को मिली थी, उसके बाद नोटबंदी का असर शुरू हुआ। वित्त वर्ष 2017-18 की जीडीपी 7 फीसदी पर आ गई। उसके बाद तो यह सिलसिला लगातार जारी रहा।
जीएसटी की भी हुई आलोचना : देश में नोटबंदी का असर शुरू ही हुआ था कि 1 जुलाई 2017 में देश में जीएसटी लागू किया गया। जिसकी आलोचना इस बात के लिए की गई कि इसे बिना तैयारी के साथ और जल्दबाजी में लागू किया। जिसका असर देश के कारोबारियों पर पड़ा। देश के कई कारोबारी अभी जीएसटी को बेहतर नहीं मानते हैं। 2017-18 के बाद 2018-19 और 2019-20 में देश की जीडीपी पर काफी गहर असर देखने को मिल चुका था। 2017 से र्माच 2020 तक देश की जीडीपी बिल्कुल आधी हो चुकी थी। यानी कोरोना वायरस की एंट्री और उसके असर से पहले देश की जीडीपी 4.20 फीसदी पर आ गई थी।
कोरोना वायरस ने मचाई तबाही : अब जो सामने आंकड़े आए हैं वो काफी परेशान करने वाले हैं। देश की जीडीपी 2020-21 में 7.30 फीसदी नीचे आ चुकी है। इसका मतलब है कि माइनल 7,30 फीसदी पर आ गर्इ है। खास बात तो ये है कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 24 फीसदी तक नीचे गिर गई थी। देश में लॉकडाउन लग गया और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कोरोना को महामारी घोषित कर दिया। सभी सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुए।
40 साल पहले से ज्यादा खराब हालात : स्थिर एवं पूर्ण बहुमत की सरकार में ऐसे इकोनॉमिक हालात कभी नहीं रहे। उस वक्त भी नहीं जब 40 साल पहले देश में मोरारजी देसाई सरकार थी, जिन्होंने उस वक्त की कद्दावर नेता इंदिरा गांधी को हराकर सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दियाा। उस समय राजनीतिक अस्थिरता ज्यादा थी। देश के हालात भी अच्छे नहीं थे। जिसकी वजह से देश की जीडीपी 1979 में 5 फीसदी तक नीचे आ गई थी। जबकि देश की स्थिर और पूर्ण बहुमत की सरकार में देश की जीडीपी 7 फीसदी से ज्यादा नीचे है।
कोरोना की दूसरी लहर का भी रहेगा असर : जुलाई या अगस्त तक वित्त वर्ष 2021-22 तक पहली तिमाही के नतीजे आने का अनुमान है। कयास लगाए जा रहे हैं कि कोरोना की दूसरी लहर और लगने वाले लॉकडाउन का असर देखने को मिल हाल ही में नीति आयोग की ओर से कहा गया है कि कोरोना की पहली लहर से उबरी इकोनॉमी दूसरी लहर की वजह से चौपट हो गई है, जिसे उबरने में वक्त लग सकता है। वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2022 वित्त वर्ष में जीडीपी के 10.5 फीसदी के अनुमान को घटाकर 9.5 कर दिया है।