वर्ल्ड बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट की आशंका जताई है। वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2020-21 में 9.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा सकती है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार कोरोनावायरस के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत 1991 तक चले बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस से भी ज्यादा गंभीर हो गई है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार पूरे दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था में 7.7 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिल सकती है जो अब तक का सबसे बड़ा रिसेशन होगा। वर्ल्ड बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट हैंस टिमर ने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था अब तक की सबसे बुरी स्थिति में है। यह बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस से भी ज्यादा बदतर स्थिति है।
टिमर ने कहा भारत में शुरुआती लॉकडाउन का बेहद सख्त होना गिरावट का बड़ा कारण है। पहली तिमाही के अंत में भारतीय अर्थव्यवस्था में 25 फ़ीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। विशेषज्ञों ने अर्थव्यवस्था में इस अनुमानित गिरावट को खतरनाक बताया है। इसके पीछे भारत में कोरोनावायरस के लगातार बढ़ते मामले भी एक अहम कारण हैं। इससे पहले फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 फ़ीसदी, गोल्डमैंन ने 14.8 फ़ीसदी और एशियन डेवलपमेंट बैंक ने 9 फ़ीसदी अनुमानित गिरावट की बात कही थी।
वर्ल्ड बैंक ने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस का असर उस समय पड़ा जब उसकी अर्थव्यवस्था फाइनेंसियल सेक्टर की दिक्कतों के कारण पहले से ही मंदी का सामना कर रही थी। इसके बाद भारत सरकार ने कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कड़ा लॉकडाउन लगा दिया। जिससे भारत में मजदूरों और गरीबों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा, बड़े स्तर पर प्रवासी मजदूरों ने पलायन किया। इस महामारी ने शहरी क्षेत्र में गरीबी को बढ़ाया है। वर्ल्ड बैंक ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक अनुमानित विकास दर 5.4 पर्सेंट पर होगी।
टिमर ने कहा इस महामारी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत को फेडरल पॉलिसिज के बारे में सोचना होगा, विशेषकर इनफॉर्मल सेक्टर के लिए। टिमर ने आगे कहा भारत में इनफॉर्मल सेक्टर के लोगों को सपोर्ट करने के लिए कोई सिस्टम नहीं है। कोरोनावायरस के कारण गरीबों को खाद्य पदार्थों की बढ़ी कीमतों की दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
वहीं इसने सबसे ज्यादा असर इनफॉर्मल सेक्टर के कर्मचारियों पर किया जिनकी आमदनी में तेजी से गिरावट आई। उनके पास इस दौरान को इंश्योरेंस या सेविंग भी नहीं थी। रिपोर्ट के आधार पर वर्ल्ड बैंक ने कहा दक्षिण एशिया क्षेत्र से यूनिवर्सल सोशल प्रोटेक्शन डिजाइन करने के साथ-साथ ज्यादा प्रोडेक्टिविटी, स्किल डेवलपमेंट और ह्यूमन कैपिटल के लिए पॉलिसी बनाने का अनुरोध किया है।