भारत का कर्ज वित्त वर्ष 2022 के दौरान सालाना आधार पर 8.2 फीसदी बढ़कर 620.7 अरब डॉलर हो गया। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एक आंंकड़े के मुताबिक, 31 मार्च 2022 के अंत तक भारत का विदेशी कर्ज एक साल की तुलना में 8.2 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 620.7 अरब डॉलर पर हो चुका है। वहीं वित्त मंत्रालय का कहना है कि कर्ज स्तर सस्टेनबेल बना हुआ है।
वहीं भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर गिरावट आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.007 अरब डॉलर घटकर 561.046 अरब डॉलर रह गया। जबकि 19 अगस्त को समाप्त पिछले सप्ताह में, भंडार 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर हो गया था।
भारत के विदेशी लोन का 53.2 प्रतिशत हिस्सा अमेरिकी डॉलर के रूप में है और 31.2 प्रतिशत अनुमानित हिस्सा भारतीय रुपए के रूप में है। वित्त मंत्रायल में एक बयान में कहा, “भारत का विदेशी लोन सतत और बेहतर तरीके से प्रबंधित है। मार्च 2022 के अंत तक, यह 620.7 बिलियन डॉलर था, जो एक साल पहले के स्तर से 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। GDP के अनुपात के रूप में विदेशी लोन 19.9 प्रतिशत था, जबकि विदेशी लोन अनुपात में भंडार 97.8 प्रतिशत था।”
वहीं विदेशी लोन के अनुपात के रूप में विदेशी मुद्रा भंडार एक साल पहले के 100.6 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2022 के अंत तक 97.8 प्रतिशत पर थोड़ा कम था।रिपोर्ट में कहा गया है कि 499.1 अरब डॉलर का अनुमानित लंबे समय वाला लोन 80.4 प्रतिशत का सबसे बड़ा हिस्सा है, जबकि 121.7 अरब डॉलर का अल्पकालिक लोन कुल का 19.6 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, अल्पकालिक व्यापार कर्ज मुख्य रूप से व्यापार कर्ज (96 प्रतिशत) फाइनेंसियल आयात के रूप में था। 130.7 बिलियन डॉलर का सरकारी लोन एक साल पहले के स्तर से 17.1 प्रतिशत अधिक हो गया, जिसका मुख्य कारण 2021-22 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) का अतिरिक्त आवंटन करना है।
इसके अलावा प्रवासी भारतीयों यानी एनआरआई की जमा राशि 2 प्रतिशत घटकर 139.0 अरब डॉलर हो गई है। कॉमर्शियल बॉरोइंग की बात करें तो 5.7 प्रतिशत बढ़कर 209.71 अरब डॉलर हो गई है। शॉर्ट टर्म ट्रेड क्रेडिट 20.5 प्रतिशत बढ़कर 117.4 अरब डॉलर हो चुकी है।