वित्त वर्ष 2021-22 समाप्त होने वाला है। आयकर से जुड़े कार्य निपटने की भी आखिरी तारीख भी नजदीक है। वहीं आयकर विभाग ने अपनी आय कम करके बताने वाले लोगों की पहचान के लिए बिल्कुल नया तरीका अपनाया है। आयकर अधिकारी विभाग के नए पोर्टल ‘इनसाइट’ पोर्टल पर डाटा की अल्गोरिदमिक स्कैनिंग (Algorithmic Scanning) के जरिए ऐसे नाम ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं जिन्होंने इस साल या पिछले कुछ सालों में तक आयकर को लेकर गड़बड़ी की हो। 2021-22 में नए नियम के लागू होने के बाद से मशीन जो भी नाम बताएगी। आयकर विभाग के अधिकारी तय नियमों के आधार पर उस व्यक्ति से पिछले किसी भी टैक्स के मूल्यांकन का विवरण मांग सकते हैं।
एक आयकर अधिकारी ने इनसाइट पोर्टल के बारे में बताया कि ‘इस पोर्टल में अभी कुछ अनियमितता है तो इस बात की पूरी संभावना है कि टैक्स की चोरी चार साल की हो और पोर्टल केवल एक साल की ही दिखाए, लेकिन इससे हमें कार्यवाही करने के लिए एक आधार मिल जाता है। इस पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने में भी काफी समय लगता है।’
आयकर विभाग ‘इनसाइट’ से जानकारी लेने के बाद करदाता को आयकर की धारा 148A के अंतर्गत एक नोटिस जारी करता है। जिसमें एक हफ्ते में करदाता को जवाब देना होता है। सूत्रों का कहना है कि यह पोर्टल का उपयोग करके केवल मुंबई के क्षत्रीय आयकर कार्यलाए ने धारा 148A के तहत 50 हजार से ज्यादा लोगों को पुनर्मूल्यांकन का नोटिस भेज चुका है।
कहां से मिलेगी आयकर विभाग को जानकारी: आयकर विभाग बैंक, एसबीआई, ईडी, विदेशी प्रशासन और अन्य तीसरे पक्ष से मिली जानकारी को ‘इनसाइट’ पोर्टल पर अपलोड करेगा और स्कैनिंग बाद सामने आए नामों को टैक्स नोटिस जारी किए जाएंगे। यदि कोई करदाता एक हफ्ते के अंदर नोटिस का जवाब नहीं देता है तो उस करदाता के मामले को दोबारा खोला जाएगा। इसके अलावा यदि करदाता नोटिस का जवाब देता है और विभाग उससे संतुष्ट नहीं होता है तो करदाता को पुनर्मूल्यांकन नोटिस को जारी कर सकता है।
कितने पुराने मामलों पर होगी कार्यवाही: नए नियम के मुताबिक आयकर विभाग कर मूल्यांकन में 50 लाख से ज़्यादा अधिक गड़बड़ी होने पर 11साल तक पुराने मामलों पर कार्यवाही कर सकता है जबकि कर मूल्यांकन 50 लाख से कम की गड़बड़ी होने पर केवल 4 साल तक के पुराने मामलों पर कार्यवाही की जा सकती है।