मोबाइल सर्व‍िस प्रोवाइडर कंपनी वोडाफोन भारत से अपना कारोबार समेट सकती हैैै। कंपनी के सीईओ न‍िक रीड ने कंपनी की खस्‍ताहाली का हवाला देते हुए यह चेतावनी दी है। उनका कहना है क‍ि अगर भारत सरकार देनदारी चुकाने में र‍ियायत नहीं देती है तो कंपनी के पास कारोबार समेटने के अलावा कोई व‍िकल्‍प नहीं रह जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन को कहा है क‍ि वह लाइसेंस फीस का चार अरब डॉलर बकाया सरकार को चुकाए। यह देनदारी दस साल से भी ज्‍यादा पुरानी है।

सालों से नहीं द‍िया बकाया: कंपनी भुगतान के ल‍िए दो साल का वक्‍त के साथ-साथ लाइसेंस फीस और टैक्‍स में कटौती की भी मांग कर रही है। कंपनी का कहना है क‍ि सुप्रीम कोर्ट ने जो लाइसेंस फीस बकाया भुगतान का आदेश द‍िया है, उस रकम में से ब्‍याज और जुर्माने की रकम माफ कर दे। इस मांग के साथ वोडाफोन आइड‍िया और एयरटेल सुप्रीम कोर्ट में र‍िव्‍यू प‍िटीशन भी दाख‍िल करने वाली हैं।

कर्ज से बुरा हाल: वोडाफोन आइड‍िया पहले से 14 अरब डॉलर के कर्ज में हैं और कंपनी ने भारत में और पैसा नहीं न‍िवेश करने का फैसला क‍िया है। जून 2018 से नवंबर 2019 तक भारतीय कारोबार में वोडाफोन की ह‍िस्‍सेदारी का मूल्‍य शून्‍य पर पहुंच गया है। कंपनी की यह ह‍िस्‍सेदारी 45 प्रत‍िशत है।

1 जून, 2018 को वोडाफोन के इंड‍िया में कारोबार की ह‍िस्‍सेदारी (जो 45 फीसदी) की वैल्‍यू कंपनी की बैलेंस शीट में 2.1 अरब डॉलर बताई गई थी। स‍ितंबर, 2018 में यह 1.8 हुई, जो और घटते हुए मई, 2019 में 1.6 और नवंबर, 2019 में शून्‍य अरब डॉलर बताई गई है। वोडाफोन का कहना है क‍ि कीमतों में गलाकाट प्रत‍ियोग‍िता के चलते उसका यह हश्र हुआ है।

ज‍ियो ने मारा: मुकेश अंबानी की र‍िलायंस ज‍ियो जब से मोबाइल बाजार में उतरी है, सब कंपन‍ियों की हालत खराब हो गई है। प्राइस वार में ट‍िके रहने की चुनौती के आगे कंपन‍ियों की कमर पतली हो रही है। अंबानी ने सरकार से यह भी मांग की है क‍ि वह मोबाइल कंपन‍ियों की ओर से र‍ियायत द‍िए जाने की मांग पर ध्‍यान नहीं दे।

ज‍ियो की एंट्री 2016 में हुई और आज हालत यह है क‍ि बाजार में केवल तीन बड़ी कंपन‍ियां रह गई हैं। उनकी भी हालत लगातार पतली हो रही है। भारती एयरटेल भी 23 लाख करोड़ के कर्ज तले दबी है।

ज‍ियो ने तीन साल में ही 33 करोड़ से ज्‍यादा ग्राहक बना कर सबको पीछे छोड़ द‍िया। वोडाफोन आइड‍िया के एक शेयर की कीमत 1 अक्‍टूबर, 2018 को 23.41 रुपए हुआ करती थी, आज यह 5.55 रुपए पर लुढ़क गई है। कंपनी ने ज‍ियो से मुकाबला करने के मकसद से 2018 में आइड‍िया का अध‍िग्रहण क‍िया, लेक‍िन कोई फायदा नहीं हुआ। उसके ग्राहक बढ़ने के बजाय घटते ही गए।

अकेले अप्रैल से जून के दौरान करीब डेढ़ करोड़ ग्राहकों ने वोडाफोन आइड‍िया को अलव‍िदा कह द‍िया। पैसे की कमी के चलते कंपनी सेवा बेहतर करने के ल‍िए न‍िवेश नहीं कर सकी और ऑपरेशंस का खर्चा बढ़ता ही गया। ल‍िहाजा कंपनी की हालत ब‍िगड़ती गई।