आदिल शेट्टी
एक प्रोफेशनल डिग्री हासिल करने से लेकर अपनी रोजी-रोटी कमाने तक, किसी भी मामले में आजकल की महिलाएं अब किसी पर निर्भर नहीं रह गई हैं। कामकाजी महिलाएं आज अपनी पारिवारिक आमदनी में काफी योगदान कर रही हैं, चाहे वे शादीशुदा हों या कुंवारी, और असल में कई परिवारों में वे आयकर्ताओं की भूमिका भी निभा रही हैं। लेकिन, इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए या अपने परिवार को आर्थिक दृष्टि से सुरक्षित करने के चक्कर में उन्हें अपनी व्यक्तिगत तमन्नाओं को छोड़ना भी पड़ जाता है। इस लेख में, हम कुछ ऐसी ही चुनौतियों के बारे में बात करेंगे जिनसे इन महिलाओं को सामना करना पड़ता है और वे किस तरह इनसे बेहतर ढंग से निपट सकती हैं।
कुंवारी महिला आयकर्ता: परिवार का स्थान सबसे ऊपर है, कुंवारी महिला आयकर्ता अक्सर अपने माता-पिता और छोटे भाई-बहन को फाइनेंशियल सहारा देने के चक्कर में अपने आराम को नजरअंदाज कर देती हैं। कुछ महिलाएं तो अपनी फाइनेंशियल जिम्मेदारियों को पूरा करने के चक्कर में अपनी शादी और अपनी ऊंची शिक्षा में देर भी कर देती हैं।
उन्हें क्या करना चाहिए?: अपने परिवार के लिए खर्च करना अच्छी बात है। लेकिन याद रखें, आप अपने परिवार को तभी खुश कर सकती हैं जब आप खुद खुश रहेंगी। इसलिए, हर महीने के शुरू में ही अपनी जरुरतों के लिए कुछ पैसे अलग रखने की कोशिश करें। आप बाकी का पैसा अपने परिवार के खर्च, बचत और निवेश में खर्च कर सकती हैं। एक बजट तैयार करें और उसके अनुसार चलें।
शादीशुदा महिला आयकर्ता: एक शादीशुदा महिला के लिए इस तरह की समस्याओं से निपटना थोड़ा कठिन हो सकता है क्योंकि उन्हें अपने करिअर को भी देखना पड़ता है और घर भी संभालना पड़ता है। यदि आप एक मां हैं तो आपका मातृत्व अन्य किसी भी काम से ऊपर है। फाइनेंशियल जिम्मेदारियों से घरेलू जिम्मेदारियों के विभाजन में कोई आसानी नहीं होती है। अपने पति के साथ घरेलू जिम्मेदारियों को बांटना अच्छी बात है, लेकिन फिर भी आपको अपने भविष्य को पूरी तरह सुरक्षित किए बिना घरेलू खर्च के लिए अपनी सारी आमदनी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
शादीशुदा महिलाएं ऐसे फाइनेंस को बेहतर तरीके से हैंडल कर सकती हैं-
आमदनी का आवंटन: आप और आपके पति को यह बात साफ कर लेनी चाहिए कि आमदनी का इस्तेमाल कैसे किया जाएगा। यदि आप दोनों घरेलू खर्च में भागीदारी करना चाहते हैं तो यह बात साफ कर लेनी चाहिए कि किस अनुपात में ऐसा करना है। यदि पति खुद घरेलू खर्च उठाने का फैसला करते है तो पत्नी की आमदनी का इस्तेमाल खुद उसके लिए और बच्चों के लिए बचत और निवेश करने के लिए किया जा सकता है।
HRA लाभ और होम लोन: घर के किराए के मामले में, अधिक से अधिक टैक्स बचाने के लिए किराए को विभाजित करने की सलाह दी जा सकती है। HRA के लिए क्लेम करते समय, आप किराए की रकम को एक ऐसे अनुपात में विभाजित कर सकती हैं जिससे पति-पत्नी दोनों को अधिक से अधिक टैक्स लाभ मिल सके। किराए को विभाजित करने का अनुपात, पति और पत्नी दोनों पर लागू होने वाली टैक्स सीमा पर आधारित होनी चाहिए। होम लोन के लिए, अधिक से अधिक टैक्स लाभ उठाने के लिए पति-पत्नी दोनों सह-स्वामी और सह-आवेदक बन सकते हैं। इस तरह दोनों लोन पर दिए जाने वाले ब्याज पर अधिक से अधिक 2-2 लाख रुपए और मूलधन के भुगतान पर 1.5-1.5 लाख रुपए तक कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं।
अन्य निवेश जैसे हेल्थ प्लान के लिए: जब पति-पत्नी दोनों काम कर रहे होते हैं और दिए जाने वाले हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स लाभ के लिए क्लेम करना चाहते हैं तो वे व्यक्तिगत टैक्स लाभ उठाने के लिए अलग-अलग पॉलिसियां ले सकते हैं। आप एक फैमिली फ्लोटर प्लान भी ले सकती हैं और टैक्स कटौती का लाभ उठाने के लिए अपने और अपने पति के बीच में प्रीमियम को विभाजित कर सकती हैं। टैक्स कटौती के लिए क्लेम करते समय कन्फ्यूजन से बचने के लिए संयुक्त नाम से निवेश करने के लिए एक टैक्स एक्सपर्ट से परामर्श करने की सलाह दी जा सकती है। महिलाओं ने अपने कार्य जीवन पर बेहतर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। अब, उन्हें थोड़ा बुद्धिमानी और समझदारी के साथ एक बेहतर भविष्य के लिए एक बड़ी रकम तैयार करने की कोशिश करने का समय आ गया है।
लेखक बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ हैं।